जानकारी के अनुसार परिजनों ने बच्चे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा रखी थी। बच्चे के माता-पिता सरकारी शिक्षक है। उन्होंने अपने बच्चे को नीट की तैयारी के लिए कोचिंग भेज दिया। यहां पढ़ाई के दबाव के चले वह परेशान हो गया और हॉस्टल से भाग दिल्ली पहुंच गया। वह अपने साथ कुछ रुपए ले गया, जो वहां खर्च हो गए। स्थिति यह थी कि उसके पास खाने के पैसे भी नहीं थे। जिसके बाद होटलों-ढाबों में बर्तन साफ करने लगा। तीन महीने तक काम करने के बाद वह परेशान हो गया और खुद ही घर लौट आया। बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने पूछताछ की तो सामने आया कि बच्चा पढ़ाई के दबाव के चलते भाग गया था। उन्होंने परिजनों से बच्चों पर पढ़ाई के लिए दबाव नहीं डालने की बात कही।