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मजदूर दिवस विशेष: रोजी- रोटी की चिंता सब छुड़ा देती है साहब, एक कमरे में बेबसी में काटनी पड़ती है जिंदगी..

locationसीकरPublished: May 01, 2020 05:41:33 pm

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Sachin

सीकर/ खाटूश्यामजी. बेटियां ही नही साहब, बेटों को भी घर छोडऩा पड़ता हैं। दुलारती मां, नई नवेली दुल्हन, मासूम बच्चे, जान से प्यारे भाई-बहिन, चाचा-चाची, ताऊ-ताई.. यह सब छुड़ा देती है रोजी- रोटी की चिंता। एक कमरे में ठुसे हुए दर्जनों मजदूर जिंदगी यूं ही बेबसी व बेकसी में काट देते हैं।

मजदूर दिवस विशेष: रोजी- रोटी की चिंता सब छुड़ा देती है साहब, एक कमरे में बेबसी में काटनी पड़ती है जिंदगी

मजदूर दिवस विशेष: रोजी- रोटी की चिंता सब छुड़ा देती है साहब, एक कमरे में बेबसी में काटनी पड़ती है जिंदगी

प्रमोद स्वामी
सीकर/ खाटूश्यामजी. बेटियां ही नही साहब, बेटों को भी घर छोडऩा पड़ता हैं। दुलारती मां, नई नवेली दुल्हन, मासूम बच्चे, जान से प्यारे भाई-बहिन, चाचा-चाची, ताऊ-ताई.. यह सब छुड़ा देती है रोजी- रोटी की चिंता। एक कमरे में ठुसे हुए दर्जनों मजदूर जिंदगी यूं ही बेबसी व बेकसी में काट देते हैं। होली, दीपावली, ईद सब इन कमरों में सपनों की तरह सिमट कर रह जाती है। मजदूर दिवस पर यह दर्द खाड़ी देशों में रहने वाले शेखावाटी के मजदूरों ने पत्रिका साझा किया है। ओमान से लिखा सिंह सैनी बताया कि भारत से सत्तर के दशक से खाड़ी देशों में रोजगार के लिए आए भारतीय मजदूर ही यहां रियल हीरो है। जो मजबूरी की खान से निकल रहे हैं।


झांसे तक ले जाती है मजबूरी
खाड़ी देशों के मजदूरी करने वाले रमेश चौहान ने बताया कि मजदूरों की मजबूरी उन्हें झांसे में फंसा देती है। एजेंट उन्हें अच्छी तनख्वाह के सपने दिखाकर यहां भेज देते हैं। यहां आने पर बहुत से लोगों के ख्वाब कंपनी की शर्तें और मेहनताना देखकर ही टूट जाते हैं। कई बार तो यह इतना कम होता है कि वीजा के रुपए वसूलने में ही सालों लग जाते हैं। हालात यह हो जाते हैं कि ना तो वहां काम में मन लगता है ना ही वतन वापसी का कोई रास्ता नजर आता है। चुनिंदा ही ऐसे भाग्यशाली होते हैं जिनके ख्वाबों को यहां पंख लगते हैं। बाकी तो पर कतरे खुद को असहाय ही महसूस करते हैं।


विमान सेवा बंद होने से ईद पर घर नहीं जा सकेंगे
कोरोना महामारी का असर गल्फ के हर देश में है। इस समय रमजान का पाक महीना चल रहा है। दांतारागढ़ क्षेत्र के मुस्लिम भाई अपने घर जाकर ईद मनाने के लिए तैयार है परंतु दोनों तरफ विमान सेवा बंद होने की वजह से काफी परेशान है। श्रमिकों का कहना है कि ऐसा बंद उन्होंने कभी नहीं देखा । ओमान से लिखासिंह व बहरीन से महेंद्र कुमार ने बताया की रमजान में मोल बाजार व कंपनियों में काम काज चालू हो रहा है। परन्तु हर व्यक्ति को मास्क व हाथों में दस्ताने लगाना अनिवार्य है। नहीं लगाने पर बहरीन के एक हजार दिनार का जुर्माना है ।

कोरोना में श्रमिकों के साथ खड़े है खाड़ी देश
दुबई से दीपक कुमावत ने बताया की दांतारामगढ़ के सभी लोग सुरक्षित है और जागरूक भी। कार्यक्षेत्र पर रोज सुबह प्रत्येक व्यक्ति की स्क्रनिंग की जा रही है। जिससे अब तक सभी कामगार सुरक्षित पाए गए है। यहां के स्वास्थ्य विभागों द्वारा बीमार होने वाले व्यक्ति का टेस्ट भी मुफ्त में किया जा रहा है। यहा कोरोना के चलते भारतीयो के लिए निजी स्कूल उनके संचालको द्वारा बतौर अस्थायी अस्पतालो में तब्दील किया गया है। जिससे अप्रवासी भारतीयों को सुविधा मिल सके।

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