पहली बार निर्माण कार्य, उसमें कमियां व अन्य कार्यों का जायजा लेंगे। इसके बाद वे इसी ट्रेक पर टे्रन से गति परीक्षण करेंगे। सीआरएस का दौरा होने के बाद वे अपनी रिपोर्ट रेलवे को देंगे। साथ ही वे इस ट्रेक पर गति भी निर्धारित करेंगे। सीआरएस की हरी झंडी के बाद इस ट्रेक पर रेल चलना शुरू हो जाएगी। सीआरएस की हरी झंडी के बाद संभवत मार्च तक टे्रन चलाई जा सकती है।
पहले सीकर से जयपुर तक दो चरणों में रेल चलनी थी। पहले चरण में सीकर से रींगस तक का कार्य होना था,उसके बाद रींगस से जयपुर तक कार्य होना है। लेकिन अब इस ट्रेन को तीन चरणों में चलाया जाएगा। पहले चरण में सीकर से पलसाना तक रेल चलाई जाएगी। इसके बाद पलसाना से रींगस तक रेल का संचालन किया जाएगा। सबसे अंतिम चरण में रींगस से जयपुर तक रेल चलाई जाएगी।
नहीं चलेगी अलग ट्रेन, इन्हीं को पलसाना तक चलाया जाएगा
सूत्रों के अनुसान पलसाना तक अलग से कोई ट्रेन नहीं चलाई जाएगी। फिलहाल चूरू से सीकर आने वाली तथा रेवाड़ी से झुंझुनूं होते हुए सीकर तक आने वाली ट्रेनों को ही पलसाना तक चलाया जाएगा। पलसाना तक ट्रेन चलने से कई यात्रियों को फायदा होगा।
यात्री कम खर्चे में सीकर से पलसाना व पलसाना से सीकर तक का सुरक्षित सफर कर सकेंगे। इसके अलावा इस ट्रेन के चलने से रानोली, शिश्यु व गोरियां के ग्रामीणों को भी फायदा होगा। साथ ही अभी कई ट्रेन लम्बे समय तक सीकर जंक्शन पर खड़ी रहती है। पलसाना तक चलने से रेलवे को भी फायदा होगा।
जुलाई तक चल सकती है रींगस तक
आमान परिवर्तन के कार्य की गति को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि जुलाई या अगस्त तक पलसाना से रींगस के बीच का कार्य भी पूरा हो जाएगा। उसके बाद ट्रेन को रेवाड़ी से रींगस व चूरू से रींगस तक चलाया जा सकता है। इसके अलावा दिल्ली में दबाव बढ़ाया जाए तो रींगस से वाया फुलेरा होते हुए जयपुर तक भी रेल चलाई जा सकती है।
CRS के दौरे की तारीख तय
सीकर जंक्शन से पलसाना के बीच 23 फरवरी को सीआरएस का दौरा होगा। इसकी तारीख तय हो गई है। इसके बाद ही ट्रेन चलाने की तारीख तय होगी।
तरुण जैन, सीपीआरओ, रेलवे, जयपुर