महिलाओं ने प्रदर्शन के दौरान विभिन्न नारों से लिखी तख्तियां भी लहराई। ग्रामीणों ने कहा कि मर जाएंगे पर धरती माता को हाथ लगाने नहीं देंगे। इस मौके पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने जमीन के बदले जमीन व मकान के बदले या फिर बाजार भाव का 10 गुना पैसा नहीं देते तक ग्रामीणों का आंदोलन जारी रहेगा। वक्ताओं ने कहा कि सरकार की बड़ी योजनाओं में हमेशा गरीब की मौत होती हैं, परन्तु इस बार ऐसा नहीं होने देंगे। अपने हक की लड़ाई लडऩे के लिए ग्रामीण ईंट से ईंट बजा देंगे।
सभा को पूर्व पंचायत समिति सदस्य नरेन्द्र बाटड़, फौजी संसार मील, सरपंच महेश ढेवा, हरफुल गोदारा, जाट विकास समिति अध्यक्ष नथमल ढाका, लालचन्द झाझोटिया, देवेन्द्र महरिया, मास्टर शिशपाल सिंह राव, नत्थूराम ढुकिया व गोपाल लाटा ने सम्बोधित किया। सभा का संचालन सरपंच हंसराज बाटड़ व राकेश भोजासर ने किया।
इस मौके पर मदनलाल महरिया, रामवतार गिठाला, फुलचन्द सिंह, मनोज महला, विद्याधर गिठाला, बन्टी राजपुत, मोहन लाल, रामकरण रुहेला, सरदार सिंह ढाका, गणेशाराम मेघवाल,ओमप्रकाश, महावीर प्रसाद, प्रभाती जाट, ज्याना देवी, भगवानी देवी, कंचन सहित काफी ग्रामीण महिलाएं व जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
इन्होंने जताया विरोध
नरेन्द्र बाटड़ ने बताया कि धरती गाड़ समाधि में गीता देवी, संतोष, सुमित्रा, शारदा, छोटी देवी, तारामणी, बादामी देवी, बिमला, मंजू, बनारसी, सायर कंवर, मुन्नी कंवर, गुलाब कंवर, मनोज कंवर, मुकेश कंवर, सुगना देवी , मुकेश गिठाला सिंगदङा, नथमल ढाका, जितेन्द्र सिंह राजपूत, नरेश सैनी, गणपत धाभाई, महेश चलका, सत्यप्रकाश शर्मा, सुवाराम मेघवाल, महेन्द्र सिंह राजपूत, भगवानाराम धाभाई, प्यारेलाल सैनी व विकास ढाका ने भाग लेकर अपने आधे शरीर को जमीन में गाड़ दिया। महिलाओं ने कहा कि वे जान दे देंगी, लेकिन औने-पौने दामों में जमीन नहीं देंगी।
बाटड़ ने बताया कि आंदोलन को गति देने के लिए सोमवार को ग्रामीण किसान कृषि औजारों के साथ उपखंड मुख्यालय के प्रमुख रास्तों पर पैदल मार्च कर विरोध जताएंगे। उसके बाद उपखंड कार्यालय का घेराव किया जाएगा।