जिदंगी के बहुत पड़ाव देखे हैं। अंटी में रखा धन सबसे ज्यादा काम आता है। बेटी घर पर आती है तो उसे देने के लिए अंटी का धन ही काम आता है। 40 वर्ष पहले तो उसे ही धनवान माना जाता था कि जिसके हाथ में सबसे ज्यादा नगदी हो। अब 70 वर्ष की उम्र में बैंक में पैसा जमा कराना और निकलाना दोनों चुनौती भरे काम हैं।
संतरा देवी, गृहिणी, सीकर
50-60 रुपए किराए में लग जाएंगे गांव-ढाणियों के लोगों के बैंकों में खाते तो हैं, लेकिन वे नकदी पर ज्यादा भरोसा करते हैं। गांव में मजदूरी से लेकर सभी कार्य अब भी नकदी से हो रहे है। क्योंकि बैंक में रोजाना लेनदेन करने आए तो 50-60 रुपए किराए में लग जाएंगे। घर में की गई नकदी बचत कभी भी काम आ जाती है। यही बचत समाज को मजबूती भी देती है।
सावित्री देवी, गृहिणी, सीकर
गुल्लक की पूरी राशि बैंक में जमा करा दी गई छोटी बचत से बच्चों की पढ़ाई करा दी। पढ़ाई के लिए शुरू से पैसा जोडऩा शुरू कर दिया था। गुल्लक के पैसों से बच्चों को दसवीं तक पहुंचाया। नोटबंदी के बाद गुल्लक की पूरी राशि बैंक में जमा करा दी गई। लेकिन अब मुसीबत यह है कि छोटी-छोटी बचत कैसे करें। क्योंकि सरकार ने एलान कर दिया है कि कभी 100 व 50 के नोट भी बंद हो सकते हैं। अब मैंने बच्चों की आगे की पढ़ाई के लिए बचत खाते के जरिए राशि सुरक्षित करने का मन बनाया है।
सुनीता देवी, सबलपुरा, सीकर