scriptअपने स्वार्थ की खातिर मिट्टी की ले ली जान ! जानिए पूरा मामला | soil becomes poisonous due to decreased nutrients sikar | Patrika News

अपने स्वार्थ की खातिर मिट्टी की ले ली जान ! जानिए पूरा मामला

locationसीकरPublished: Dec 05, 2019 05:00:56 pm

Submitted by:

Naveen

Sikar Patrika Campagin : प्रदेश में जिस शेखावाटी की धरा को कृषि के रूप में जाना जाता है, उसी क्षेत्र की भूमि पर अब बंजर होने का खतरा मंडरा रहा है। यहां पोषक तत्वों ( Nutrients of Soil ) का संतुलन बिगड़ गया है।

अपने स्वार्थ की खातिर मिट्टी की ले ली जान ! जानिए पूरा मामला

अपने स्वार्थ की खातिर मिट्टी की ले ली जान ! जानिए पूरा मामला

पूरण सिंह शेखावत, सीकर.

Sikar Patrika Campagin : प्रदेश में जिस शेखावाटी की धरा को कृषि के रूप में जाना जाता है, उसी क्षेत्र की भूमि पर अब बंजर होने का खतरा मंडरा रहा है। यहां पोषक तत्वों ( Nutrients of soil ) का संतुलन बिगड़ गया है। कृषि विभाग ( Agriculture Department ) के अनुसार मोटे तौर पर अंचल के अकेले सीकर जिले में 15 प्रतिशत तक भूमि की उत्पादकता गिर गई है और पिछले पांच साल में 7 हजार हेक्टेयर तक भूमि बंजर हो गई है। इसका सीधे तौर पर कारण कीटनाशक और उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग माना जा रहा है। इसका दुष्प्रभाव आम आदमी से लेकर पशुओं के जीवनचक्र पर पड़ रहा है।


हर साल एक लाख मीट्रिक टन उर्वरक होता है इस्तेमाल
आधुनिकता की दौड़ में खेती की जमीन पर बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो रही हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में मिट्टी (मृदा) में पोषक तत्वों की कमी व अधिक मात्रा में यूरिया खाद के प्रयोग से खेती की जमीन बंजर बनती जा रही है। किसान मिट्टी की जांच करवाए बिना अधिक पैदावार के लिए अंधाधुंध यूरिया, डीएपी व अन्य रसायनिक खाद का प्रयोग करते हैं। इससे खेती की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है और धीरे-धीरे जमीन बंजर बन जाती है। विभाग के अनुसार हर साल रबी और खरीफ सीजन के दौरान एक लाख मीट्रिक टन से ज्यादा उर्वरक का प्रयोग किया जाता है। 5 साल के दौरान 87 हजार लीटर कीटनाशक का प्रयोग किया गया है।


जिले की सीकर, लक्ष्मणगढ़, नीमकाथाना व श्रीमाधोपुर लैब में पिछले एक साल में 98 हजार 443 मिट्टी के नमूनों की जांच की गई। जांच के दौरान 99 प्रतिशत नमूनों में नाइट्रोजन, 34 प्रतिशत नमूनों में फास्फोरस की कम मात्रा निकली। 14 प्रतिशत नमूने में पोटाश निर्धारित से कम मात्रा निकली। वहीं भूमि का ईसी साल्टी लेवल कम रहा। इन नमूनों में सूक्ष्म पोषक तत्व भी कम रहे। 46 प्रतिशत नमूनों में आयरन, तीन प्रतिशत में कॉपर, 10 प्रतिशत में सल्फर, एक प्रतिशत नमूनो में मैग्नीज की मात्रा कम रही।


क्षार-लवण युक्त पानी भी जिम्मेदार
अतिदोहन से बन रही है समस्या भूमिगत जल के अधिक दोहन से लवण और क्षारीयता की मात्रा बढ़ी। जिले में भूजल का स्तर 85 से 115 मीटर से अधिक नीचे तक चला गया है। पानी जितना नीचे से निकाला जाएगा उसकी गुणवत्ता उतनी ही खराब मिलेगी। जिले में पानी का स्तर प्रतिवर्ष डेढ़ मीटर से अधिक गिर रहा है।


समय पर कराएं मिट्टी की जांच…
किसानों को समय-समय पर अपने खेतों की मिट्टी की जांच करवानी चाहिए, ताकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति का पता चल सके। जांच के बाद जैविक खाद का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। जैविक खेती से किसानों की पैदावार बढ़ेगी और जमीन भी उर्वरा रहेगी। -सुभिता नेहरा, कृषि अनुसंधान अधिकारी, सीकर


नहीं चेते तो बंजर हो जाएगी भूमि…
&समय रहते किसानों ने मिट्टी की जांच नहीं करवाई तो इस क्षेत्र में खेती योग्य जमीन बंजर में तब्दील हो जाएगी और क्षेत्र के हजारों किसानों का वजूद खतरे में पड़ जाएगा। -प्रमोद कुमार, संयुक्त निदेशक, कृषि खंड, सीकर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो