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सोमवती अमावस्या : 17 साल बाद आ रहा है ये खास योग, जानें इसका महत्व और पांडवों से जुड़ी रोचक कहानी

locationसीकरPublished: Apr 14, 2018 06:54:17 pm

Submitted by:

vishwanath saini

Somvati Amavasya : वर्ष 2018 में 15 व 16 अप्रेल को सोमवती अमावस्या है। 17 साल बाद सोमवार को ही सोमवती अमावस्या का संयोग बना है।

somvati amavasya

सीकर.

हिन्दू धर्म में धार्मिक दृष्टि से अमावस्या तिथि बहुत ही पुण्यदायी मानी गई है। अमावस्या सोमवार को आ जाए तो फिर कहना ही क्या। पुण्य प्राप्ति के योग स्वत ही बन जाते हैं। सीकर के पं दिनेश मिश्रा के अनुसार 15 व 16 अप्रेल को अमावस्या तिथि रहेगी, लेकिन सोमवार को अमावस्या का विशेष महत्व रहेगा। इस साल सोमवती अमावस्या पर सूर्य और चंद्रमा मेष राशि में तथा अश्विनी नक्षत्र में रहेंगे।

सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत करेंगी।

वैशाख का महीना और अश्विनी नक्षत्र का वर्ष 2018 में यह संयोग 17 साल बाद बन रहा है। इसके बाद यह संयोग दस साल बाद बनेगा। पुण्य फलदायी वाले इस नक्षत्र के साथ सोमवार और अमावस्या का संयोग बनने से ये दिन पितृ पूजा, पितृ दोष और कालसर्प दोष की शांति के लिए श्रेष्ठ रहेगा।

somvati amavasya katha

सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत करेंगी। पुराणों के अनुसार इस दिन मौन व्रत करने से सहस्त्र गो-दान का फल प्राप्त होता है। वैशाख अमावस्या 15 अप्रेल को सुबह 8 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी, जो सोमवार सुबह 7 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। सोमवार को उदय कालीन अमावस्या होने के कारण सोमवती अमावस्या का यह संयोग बना है।

LoharGal surya Kund
ऐसे करें Somvati Amavasya 2018 का पूजन
वैशाख अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। फिर नित्यकर्म से निवृत होकर पवित्र तीर्थ स्थलों पर स्नान ज़रूर करें। गंगा, आदि नदियो में स्नान करना पुण्य फलदायी रहता है। इस दिन पीपल की पूजा करें, तेल का दीपक जलाना चाहिए। गायों को हरा चारा डालना चाहिए।
Lohargal
लोहार्गल में सोमवती अमावस्या का स्नान

-सोमवती अमावस्या के दिन शेखावाटी के तीर्थस्थल लोहार्गल के कुंड में स्नान का बड़ा महत्व है।
-कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव मोक्ष प्राप्ति के लिए लोहार्गल आ गए थे।
-लोहार्गल स्थित कुंड के पानी में नहाने से उनके पैरों की बेडिय़ां गल गई थी।
-पानी में लोहे की बेडिय़ां गल जाने के कारण झुंझुनूं जिले का यह स्थान लोहार्गल के नाम से जाना जाता है।
-लोहार्गल के सूर्यकुंड के पानी में सोमवती अमावस्या को स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
-पांडवों ने सोमवती अमावस्या के संयोग पर स्नान के लिए 12 साल तक इंतजार किया था।

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