इसलिए हुआ बदलाव
-कक्षा 12 वीं के अंकों के आधार पर केन्द्रीय विवि में दाखिला मिलने से हजारों विद्यार्थियों का सपना टूट रहा था। इस वजह से सभी विद्यार्थियों को मौका देने के लिए यह बदलाव किया गया।
-कई विवि की ओर से अपने स्तर पर परीक्षा कराने जाने पर विचार हुआ। इससे उच्च शिक्षा की एकरुपता भंग होती। इसलिए नई उच्च शिक्षा नीति में प्रावधान किया गया।
-सरकार विवि में दाखिले के लिए बोर्ड के नंबरों को इस्तेमाल करने के पक्ष में नहीं। क्योंकि देश के अलग-अलग बोर्ड में कॉपियों के मूल्यांकन में विविधता देखने को मिलती है।
-देश के कुछ बोर्ड मार्किंग में टफ तो कुछ में सहज होती है।
-एक्सपर्ट का कहना है कि नई व्यवस्था से विवि 12 वीं ज्यादा अंक लाने के लिए रटने के बजाय सीखने पर जोर देंगे। इससे अभिभावकों की मानसिकता भी बदलेगी
इसलिए उठ रहे सवाल
कई विशेषज्ञों की ओर से इस कॉमन परीक्षा के फॉर्मले पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। प्रदेश के कई एक्सपर्ट का कहना है इससे 12 वीं की पढ़ाई का महत्व कम होगा। वहीं राज्यों के केन्द्रीय विवि में आरक्षण के खाके पर भी तलवार लटकने की पूरी संभावना रहेगी। दूसरी तरफ सरकार का दावा है कि समय के साथ इस परीक्षा के फॉर्मूले में बदलाव किया जाएगा।
ऐसे समझें पूरा गणित
परीक्षा की घोषणा कब: मार्च 2022
कितने विवि में मिलेगा प्रवेश: 45
देश में कितने सेंटरों पर परीक्षा: 545
विदेशों में कितने सेंटर पर परीक्षा: 13
परीक्षा कब संभावित: जुलाई 2022
परीक्षा कितनी पारियों में होगी: 02
पहली पारी में कितनी भाषा: 13
दूसरी पारी में कितनी भाषा: 20
देश में अंडरग्रैजुएट छात्र: 3.6 करोड़
पोस्ट ग्रैजुएट छात्र: 43.01 लाख
देश में कला संकाय के विद्यार्थी: 96.56 लाख
विज्ञान संकाय के विद्यार्थी: 47.55
बीकॉम संकाय के विद्यार्थी: 41.63 लाख
45 केन्द्रीय विवि में कुल नामांकन: 7.20 लाख
12 वीं कक्षा में ज्यादा नंबरों का प्रेशर कम होगा:
अब तक देश के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में कक्षा 12 वीं के अंकों के आधार पर दाखिला मिलता था। लेकिन अब भारत सरकार ने नई शिक्षा के जरिए प्रावधानों में बदलाव किया है। इससे निश्चित तौर पर विद्यार्थियों में अभिभावकों का कक्षा 12 वीं में बनने वाला मानसिक प्रेशर कम होगा। निजी विश्वविद्यालयों की ओर से इस व्यवस्था को लागू किया जाता है तो अच्छी पहल है।
अर्जुन तिवाड़ी, प्रांत संगठन मंत्री, विद्यार्थी परिषद
निजी विवि भी इसी सत्र से लागू करने की तैयारी में
नई शिक्षा नीति में जो प्रावधान जोड़े गए है उससे विद्यार्थियों को निश्चित तौर पर काफी फायदा मिलेगा। देश के ज्यादातर निजी विश्वविद्यालय भी इसी सत्र से कॉमन परीक्षा पैटर्न को लागू करने की तैयारी में है। इससे विवि को बार-बार प्रतीक्षा सूची जारी करने सहित अन्य झझंटों से मुक्ति मिल सकेगी। वहीं उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बढऩे के साथ फर्जीवाड़े पर पूरी तरह लगाम लग सकेगी।
डॉ. जोगेन्द्र सिंह, फाउंडर चेयरमैन, ओपीजेएस विवि, चूरू
शिक्षा का केन्द्रीयकरण करने की कोशिश
भाजपा की ओर से लगातार शिक्षा का केन्द्रीयकरण करने की कोशिश की जा रही है। यदि भारत सरकार हकीकत में गरीब विद्यार्थियों का भला चाहती है तो संबंधित राज्य के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में उस राज्य का कोटा तय करना चाहिए। भाजपा पूरी देश की शिक्षा व्यवस्था को केन्द्रीयकृत कर अपनी विचारधारा को थोपने की कोशिश में है। इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सुभाष जाखड़, प्रदेश अध्यक्ष, एसएफआई
The students of Rajasthan will benefit from the Joint Entrance Examination of Central Universities