बिगड़ता बजट : जाम से ३० प्रतिशत तेल की खपत बढ़ी ट्रैफिक जाम का समस्या के साथ सीधा असर लोगों की जेब पर भी पड़ता है। सडक़ पर जितना ज्यादा ट्रैफिक कंजेशन होगा, उतनी ज्यादा लोगों की जेब ढीली होगी। वाहन विक्रेता एजेंसियों के मुताबिक ट्रैफिक जाम में फंसने से वाहन की क्षमता पर असर पड़ता है। साथ ही ईंधन की तीस प्रतिशत ज्यादा खपत होती है। २०२५ तक करीब एक लाख वाहन सीकर की सडक़ों पर नए आ जाएंगे।
प्रदूषण से परेशानी : २५ प्रतिशत की दर से घुल रहा जहर पिछले वर्ष नगर पालिका की स्वच्छता रैंकिंग में हम प्रदेश में दूसरे नंबर पर आए थे। हम खुश तो हो गए, लेकिन प्रदूषण सबसे विकराल समस्या बन रहा है। वाहनों के प्रदूषण से २५ प्रतिशत की दर से आबोहवा में जहर घुल रहा है। जाम में पेट्रोल-डीजल के अधिक जलने से हवा में कॉर्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर, नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन के कण मुश्किल बढ़ा रहे है।
बढ़ती दुर्घटनाएं : हर साल ४५० से अधिक मौते शहर में वाहनों की जिस गति से संख्या बढ़ रही है। उसी अनुपात में दुर्घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है। पुलिस के आकंडों के अनुसार हर साल ४५० से अधिक लोगों की सडक़ दुर्घटनाओं में मौत हो जाती है। रोजाना पूरे जिले में आठ से दस दुर्घटनाओं में सैंकड़ों लोग घायल हो जाते है। दुर्घटनाओं में पचास प्रतिशत से ज्यादा तेज गति से वाहन चलाने और वाहन चालकों की लापरवाही से हादसे हो रहे है।
शर्मिंदगी का दंश : शहर में जो आता, ताना दे जाता है शिक्षा नगरी में बाहर से काफी संख्या में छात्र पढऩे के लिए आते है। एेसे में ट्रैफिक जाम में आए दिन फंसने से परेशानी के कारण लोग ताना देते है। खराब ट्रैफिक के कारण हमें शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शादी के कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान शहर के जाम के कारण अधिकारियों पर क्रोधित हुए थे। एेसे में अब इस धब्बे से निपटने के लिए पूरी तरह से एकजुट होना पड़ेगा।
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