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संडे हो या मंडे…अब नहीं खा रहे अंडे!

locationसीकरPublished: Mar 15, 2020 06:41:24 pm

Submitted by:

Gaurav

कोरोना के चलते अंडे व चिकन से लोगों ने बनाई दूरी।दाम 50 से 70 फीसदी हुए कम।शेखावाटी में मुर्गीपालन व्यवसाय चौपट होने की कगार पर।प्रतिदिन लाखों का कारोबार हो रहा प्रभावित।

सीकर में थोक दुकान पर बिक्री के लिए रखे अंडे।

सीकर में थोक दुकान पर बिक्री के लिए रखे अंडे।

सीकर. कोरोना के भय के चलते अंडे और खासतौर से चिकन खाने वालों की संख्या में अचानक से कमी आई है। शौकीन लोगों ने इससे दूरी बना ली है। यही कारण है कि अंडे की कीमतों में 40 और चिकन के दामों में 50 फीसदी तक कमी आ चुकी है।

शौकीनों ने बनाई दूरी
कोरोना से बचाव के लिए सोशल मीडिया पर अंडे व चिकन ना खाने के वीडियो और मैसेज वायरल होने के बाद शौकीन मिजाज ने इनसे दूरी बनाना शुरू कर दिया है। इस व्यवसाय से जुड़े काफी लोगों ने पिछले कई दिनों से अंडे व चिकन खाना छोड़ दिया है।

140 से सीधे 90 रुपए प्रति केरेट
कोरोना के चलते पिछले 25-30 दिनों में अंडे के थोक भाव में करीब 40 फीसदी से ज्यादा कमताई आई है। सीकर में अंडे के प्रमुख व्यवसायी हरीश कुमार मूलचंद बताते हैं कि 2.5 दर्जन वाले एक केरेट (एग-ट्रे) की कीमत जहां पहले 140 रुपए थी अब वह 90-95 रुपए में बिक रहा है। जिसके चलते अंडे का बाजार बदहाल हो चुका है।

पोलट्री फॉर्म पर संकट!
कोरोना का मुर्गी पालन व्यवसाय पर अच्छा खासा असर पड़ा है। बाजार में चिकन की कीमतें 70 फीसदी से ज्यादा तक गिर चुकी हैं। शहर में बिसायतियान चौक, फतेहपुर रोड, कसाईवाड़ा आदि इलाकों में चिकन शॉप पर पहले से काफी कम भीड़ देखी जाती है।

खाली बैठे हैं साहब…!
बिसायतियान चौक में चिकन शॉप मालिक रशीद ने बताया कि साहब की 20 दिनों से धंधा बिल्कुल ठंडा पड़ा है। दुकान पर खाली बैठना पड़ता है। जरूरत के हिसाब से ही मुर्गी फार्म को ऑर्डर लिखा रहे हैं। लेकिन इसके उलट मटन शॉप पर कोरोना का असर बिल्कुल नहीं है। कुरैशी बताते हैं कि ‘हमारी दुकानों पर तो कोई संकट नहीं है। लोग खूब चाव से खरीद रहे हैं। चिकन से दूरी की वजह से मटन की मांग बढ़ी है, दरों में भी मामूली इजाफा हुआ है।’

शेखावाटी में 80 से 100 बड़े पोलट्री फॉम…र्
शेखावाटी के सीकर, लोसल और झुंझुनूं इलाकों में करीब 80-100 बड़े पोलट्री फॉर्म हैं। जहां पर मुर्गी पालन किया जाता है। इन्हीं पोलट्री फॉर्म से पूरे इलाके में सप्लाई भी की जाती है। लेकिन कोरोना के चलते यह व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक कोरोना के चलते प्रतिदिन लाखों का कारोबार प्रभावित हो रहा है।

अगले माह तक सब चौपट!
मुर्गीपालन से जुड़े जानकार बताते हैं कि यदि यही हाल रहा तो क्षेत्र में यह व्यवसाय बिल्कुल चौपट हो जाएगा। मांग ना होने के चलते कीमतों में इस तरह की गिरावट अभी और भी जारी रहने की पूरी आशंका है।
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