आरोप: सामान्य वर्ग की सीट कर दी कम
चयनित अभ्यर्थियों का आरोप है कि नियमों की सही पालना नहीं होने के कारण मेरिट लिस्ट में बार-बार बदलाव हुआ है। बेरोजगारों ने बताया कि दिव्यांग, भूतपूर्व सैनिक व खेल कोटे में चयन होने पर उनके वर्ग की सीटों से ही सीट कम की जाती हैं। शिक्षा निदेशालय में शिकायत की गई है कि अगर किसी ओबीसी दिव्यांग का चयन हुआ है तो उसकी सीट ओबीसी में जाती है। इसके विपरीत शिक्षा विभाग ने उसकी सीट जनरल केटेगरी से कम कर दी। ऐसे में जनरल के चयनित केंडिडेट्स को नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर होना पड़ा है। निदेशक को दी शिकायत में आरोप लगाया कि एमबीसी अभ्यर्थियों को ओबीसी में से हटाते हुए दुबारा संशोधित सूची जारी की गई थी, लेकिन इस सूची में भी शिक्षा विभाग ने भर्ती की शर्तों की पालना नहीं की है। होरिजेंटल रिजर्वेशन में में जिस वर्ग का चयनित होता है, उसे उसी वर्ग की सीट दी जाती है। इसके विपरीत शिक्षा विभाग ने सामान्य से सीट दी है। इससे प्रभावित 14 अभ्यर्थियों की लिस्ट भी शिकायत के साथ दी गई है। ये सभी ओबीसी नॉन क्रिमीलेयर के बताए जा रहे हैं, इनका चयन सामान्य में बताया है।
पहले भी गड़बड़ी
इससे पहले एमबीसी व ओबीसी के आरक्षण में हुई गड़बड़ी को तो शिक्षा विभाग के अधिकारी स्वीकार कर चुके है। इसमें फेरबदल भी कर दिया गया है। इसके बाद एमबीसी के 233 अभ्यर्थियों को सूची से बाहर किया गया और इतने ही अभ्यर्थियों को जोड़ा गया। अब ओबीसी के लिए सामान्य की सीट कम करने से सामान्य अभ्यर्थियों को भी नुकसान हुआ है।
ऐसे समझें बेरोजगारों का दर्द...
केस 01: फिर नियमों की पालना क्यों नहीं
सीकर निवासी राजेन्द्र कुमार ने बताया कि अफसरों की मनमानी का खामियाजा बेरोजगारों को भुगतना पड़ रहा है। जिन अधिकारियों ने नियमों में खामी छोड़ी सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। तीन दिन में परिणाम संशोधित होने से सैकड़ों बेरोजगारों के साथ उनके परिणाम की मुसीबत बढ़ गई है।
केस 02: हर बार एक जैसी गलती
जयपुर निवासी सुमन शर्मा का कहना है कि भर्तियों में लगातार आरक्षण प्रावधानों की वजह से परिणाम संशोधित हो रहे है। भर्ती की विज्ञप्ति जारी होने से पहले ही आरक्षण प्रावधानों की एक्सपर्ट से समीक्षा कराई जानी चाहिए, जिससे एक जैसी बार-बार नहीं हो।