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शिक्षकों ने दूधियों को भी किया मात…पानी मिले दूध से चला रहे स्कूलों में काम!

locationसीकरPublished: Jan 24, 2020 06:19:57 pm

Submitted by:

Gaurav

शिक्षकों के लिए जी का जंजाल बनी अन्नपूर्णा दूध योजना। सरकार से मिल रही राशि की तुलना में दूध विक्रेताओ को अधिक भुगतान करना होता है। तो शिक्षकों ने निकाला बीच का रास्ता। शिक्षा मंत्री को मिल रही शिकायतें।

शिक्षकों ने दूधियों को भी किया मात...पानी मिले दूध से चला रहे स्कूलों में काम!

शिक्षकों ने दूधियों को भी किया मात…पानी मिले दूध से चला रहे स्कूलों में काम!

सीकर. सरकारी स्कूलो में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए पिछली राज्य सरकार के समय शुरू की गई अन्नपूर्णा दूध योजना शिक्षको के लिए जी का जंजाल बनती जा रही है। स्थिति यह है कि शिक्षकों को दूध खरीदने के लिए सरकार से मिल रही राशि की तुलना में अधिक भुगतान दूध विक्रेताओ को करना पड़ रहा है। ऐसे में कई स्कूलो में जहां विद्यार्थियों की उपस्थिति अधिक दिखा कर इस राशि को ऐडजस्ट करना पड़ रहा है, तो दूसरी ओर कुछ स्कूल कम गुणवत्ता का दूध खरीदने को मजबूर हो रहे हैं।

शिक्षकों के सामने यह है दिक्कत
विभाग ने इस योजना के लिए डेयरी अथवा सहकारी समितियो से ही दूध क्रय करने के निर्देश सभी स्कूलो को दिए थे। इससे बच्चो को उच्च गुणवत्ता का दूध मिल सके। प्रारंभ से ही सरकार की ओर से स्कूलो को दूध के लिए आवण्टित राशि की दर दूध के क्रय मूल्य से बहुत कम रखी गई थी। ग्रामीण क्षेत्रों की स्कूलो को दूध की राशि जहां 35 रुपए प्रति लीटर रखी गई, वहीं शहरी क्षेत्रों की स्कूलों के लिए 40 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से आवण्टित की गई थी। गत सितम्बर माह में इस दर में कुछ वृद्धि कर ग्रामीण स्कूलो को 37 रुपए प्रति लीटर व शहरी स्कूलो को 42 रुपए प्रति लीटर की दर से भुगतान किया जाने लगा है।

समस्या यह है कि प्रदेश के अधिकतर जिलो में डेयरी से क्रय किए जाने वाले दूध की कीमत ज्यादा है। उदाहरण के किए सीकर जिले में डेयरी का दूध 42 रुपए प्रति लीटर तो नागौर में 44 रुपए प्रति लीटर, वहीं भीलवाड़ा में 46 रूपए प्रति लीटर तो चित्तौडगढ़़ में 45 रूपए प्रति लीटर और चुरू में 44 रूपए प्रति लीटर की दर से मिल रहा है। कई जिलो में तो कीमत इससे भी अधिक है। हालत यह है कि शिक्षको को प्रति लीटर दूध के 5 से 7 रुपए अधिक चुकाने पड़ रहे है। ऐसे में यह योजना स्कूलो के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है।

यह है योजना
प्रदेश में भाजपा सरकार के समय सरकारी स्कूलो के बच्चो को अच्छा पोषण देने के लिए 2 जुलाई 2018 को अन्नपूर्णा दूध योजना शुरू की गई थी। योजना के तहत सरकारी स्कूलो में अध्ययनरत कक्षा 1 से 5 तक के बच्चो को 150 मिली तथा कक्षा 6 से 8 तक के बच्चो को 200 मिली दूध पिलाना शुरू किया गया। योजना की शुरूआत में सप्ताह में तीन दिन दूध वितरण किया जाता था, लेकिन बाद में इसमे परिवर्तन कर इसे पूरे सप्ताह के लिए लागू कर दिया गया। योजना के लिए सभी स्कूलों को अलग से बर्तन एवं दूध क्रय करने के लिए बजट भी दिया गया था।
पसोपेश में शिक्षक
भुगतान और क्रय की दरो में यह अन्तर शिक्षको के लिए परेशानी पैदा कर रहा है। इस घाटे की भरपाई करने के लिए कई स्कूल में विद्यार्थियो की दैनिक उपस्थिति बढाकर दर्ज करनी पड़ रही है। वही कुछ अन्य स्कूलो में इस समस्या के चलते सस्ता किन्तु कम गुणवत्ता वाला दूध क्रय करना पड़ रहा है।

आ रही शिकायतें…
मामले को लेकर काफी जगह से शिकायत आ रही है। इसको लेकर जल्द ही अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर दरों में बढ़ोतरी करवाने का प्रयास करेगें। दूध की गुणवत्ता के साथ कोई भी समझौता नहीं करेगें। राज्य सरकार बच्चों के मानसिक व शारीरिक विकास के लिए कृत संकल्पित है। बच्चों व शिक्षकों को परेशान नहीं होने दिया जाएगा।
गोविन्द सिंह डोटासरा, शिक्षा मंत्री
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