स्कूल स्टाफ ने अपने स्तर पर बच्चों के लिए स्पोकन इंग्लिश की व्यवस्था की थी। स्कूल में कक्षा तीन से ऊपर के 50 से अधिक विद्यार्थी इंग्लिश में आसानी से वार्तालाप करते हैं। पांचवीं कक्षा की रितिका व खेवन, कक्षा आठ से कुमकुम, रितिका, गरिमा व अनू तथा कक्षा नौ से सुहानी शर्मा व अलका और कक्षा 10 से निकिता व कोमल अंग्रेजी वार्तालाप में निजी स्कूलों के बच्चों को भी टक्कर दे रही हैं। गांव की बेटी कोमल जांगिड़ एलएलबी की पढ़ाई के साथ हर दिन बच्चों को दो घंटे स्पोकन इंग्लिश पढ़ा रही हैं।
तीन साल पहले टॉयलेट भी नहीं
खूड़ी गांव का यह स्कूल वर्ष 1936 में गांव के बीच मिट्टी के टीले पर खुला था। तीन साल पहले तक बालिका स्कूल में टॉयलेट तक नहीं था। इस स्कूल को टिनशैड वाला स्कूल कहा जाता था। स्कूल में कक्षा कक्ष कम होने के चलते सर्दी, गर्मी और बारिश में बच्चों को पेड़ के नीचे बैठना पड़ता था। वर्ष 2018 तक स्कूल में 77 बच्चों का नामांकन था। अब तीन मंजिला भवन है। यहां 295 बच्चों का नामांकन होने के चलते कमरे कम पड़ रहे हैं। वर्तमान सत्र में एक साथ 135 का नया नामांकन हुआ।
ग्रामीणों के सहयोग से दो साल में सवा करोड़ के कार्य
विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि आइसीटी लैब स्वीकृत है। विद्यार्थियों को अब कम्प्यूटर के जरिए भी पढ़ाया जाएगा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री जनसहभागिता में भामाशाहों के सहयोग और नाबार्ड से सवा करोड़ के कार्य हो चुके हैं। तीन मंजिला भवन में सीसीटीवी कैमरे, पार्क, कंप्यूटर लैब आदि सुविधा बढ़ाई गई है। मिट्टी के टीले पर बने इस स्कूल में शिक्षकों ने एक हट और एक हॉल में तीन तरफ टफन ग्लास लगाए हैं। तीसरी मंजिल पर स्कूल के नाम का इलेक्ट्रिक शाइन बोर्ड लगा हुआ है। तीन-चार साल से लगातार स्कूल का परिणाम भी शत प्रतिशत है। स्कूल में वाहन सुविधा भी बच्चों को उपलब्ध कराई जा रही है।