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शेखावाटी अंचल के सबसे बड़े अस्पताल को लग रहा लाखों का चूना

locationसीकरPublished: Sep 15, 2019 06:05:04 pm

Submitted by:

Vinod Chauhan

चिकित्सकों की मनमर्जी कहें या मरीजों का भाग्य। मेडिकल कॉलेज के अधीन शेखावाटी के सबसे बड़े कल्याण अस्पताल में अनदेखी से हर माह सरकार को नुकसान हो रहा है

शेखावाटी अंचल के सबसे बड़े अस्पताल को लग रहा लाखों का चूना

शेखावाटी अंचल के सबसे बड़े अस्पताल को लग रहा लाखों का चूना

सीकर. चिकित्सकों की मनमर्जी कहें या मरीजों का भाग्य। मेडिकल कॉलेज के अधीन शेखावाटी के सबसे बड़े कल्याण अस्पताल में अनदेखी से हर माह सरकार को दो लाख का चूना लगाया जा रहा है। इसकी बानगी जुलाई 2019 के लिए चिकित्सा विभाग की ओर से जारी टेलीमेडिसिन की रैंकिंग से हो रही है। मिसाल रैकिंग में अव्वल रहने वाला जिला प्रदेश में 76वें पायदान पर पहुंच गया है। जुलाई माह में अस्पताल में महज 16 मरीज ही पहुंचे हैं जबकि जिला अस्पताल की बजाए चिकित्सीय सुविधाओं की कमी से जूझ रही सीएचसी फलौदी प्रदेश में अव्वल रही है। जहां जुलाई में 916 मरीजों ने टेलीमेडिसिन सुविधा का लाभ लिया है। गौरतलब है कि एसके अस्पताल में इस समय 94 चिकित्सक कार्यरत है।
यूं समझें नुकसान का आंकड़ा
जिला अस्पताल में जुलाई 2017 में टेलीमेडिसिन की सुविधा शुरू हुई थी। टेलीमेडिसिन में न्यूरोलॉजिस्ट, यूरोलॉजिस्ट कार्डियोलॉजिस्ट, स्किन, गेस्ट्रोइन्ट्रोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट, ऑंकोलॉजिस्ट, आर्थोपेडिक्स, गायनोकॉलोजिस्ट के परामर्श की ऑनलाइन सुविधा दी जानी थी। जिसके लिए प्रदेश स्तर पर अनुबंध हुआ है। इसके लिए सीकर के एसके अस्पताल में टेलीमेडिसिन सेंटर खोला गया। इसके लिए एक चिकित्सक और दो नर्सिंग स्टाफ को लगाया गया है। इन तीन कर्मचारियों का हर माह औसतन डेढ से दो लाख रुपए बतौर वेतन और केन्द्र पर लाइट पानी और उपकरणों के ब्याज के रूप में खर्च होते हैं।
स्केन करके भेजते हैं रिपोर्ट
चिकित्सक अपने सॉफ्टवेयर के जरिए मरीज की जांच रिपोर्ट भेजते हैं। फिल्म स्केनर से एक्सरे, एमआरआई, सिटी एवं डिजीटल जांच रिपोर्ट को भेजकर मरीज को वैब कैमरे से सुपर स्पेशलिस्ट को दिखाते हैं। इसके बाद विशेषज्ञ उस मरीज को दवाई तथा अन्य परामर्श देते हैं।
हर माह दो हजार से ज्यादा मरीज रैफर
गत दो साल में एसके अस्पताल का रोजाना का आउटडोर औसतन 1500 मरीज का रहा है। आंकडों के अनुसार हर माह दो हजार से ज्यादा मरीजों को रैफर किया जाता है। आउटडोर व वार्डों में टेलीमेडिसिन सेवाओं के पोस्टर बैनर तक लगे हुए हैं। इसके बावजूद अधिकांश चिकित्सक जयपुर में विशेषज्ञों से राय तक नहीं लेते हैं। निशुल्क इलाज की आस में आए मरीजों को हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। जरूर आंकड़ेबाजी के लिए सेंटर पर मरीज लाकर सुपर स्पेशलिस्ट सेवाएं दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। अब तक सेंटर पर 34 मरीजों को जयपुर के विशेषज्ञों की राय दिलाई।
इनका कहना है
चिकित्सकों को निर्देश दे रखे हैं कि वे आउटडोर में आने वाले मरीजों को टेली मेडिसिन के लिए रैफर करें। जो मरीज विशेषज्ञों से परामर्श लेना चाहता है तो वह संपूर्ण जांच रिपोर्ट एवं अन्य कागजात साथ लेकर आकर परामर्श ले सकते हैं।
अशोक चौधरी, पीएमओ
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