scriptबहुमंजिला इमारतों का कड़वा सच…कागजों में दफन कायदे | The bitter truth of multi-storey buildings ... buried in paper | Patrika News

बहुमंजिला इमारतों का कड़वा सच…कागजों में दफन कायदे

locationसीकरPublished: May 27, 2019 06:40:34 pm

Submitted by:

Gaurav kanthal

सीकर की 100 से अधिक बहुमंजिला इमारतों में फायर सेफ्टी के नाम पर दिखाने तक को कुछ नहीं है। अधिकतर कॉम्पलेक्स, गोदाम, फै क्ट्री, रेस्टोरेंट, विवाह स्थल में आग से निपटने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं।

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बहुमंजिला इमारतों का कड़वा सच…कागजों में दफन कायदे

सीकर. सीकर में आग के इंतजाम को लेकर चारों तरफ गड़बड़झाला है। आवासीय और व्यवसायिक भवनों में चल रही अधिकतर कॉम्पलेक्स, गोदाम, फैक्ट्री, रेस्टोरेंट, विवाह स्थल में आग से इंतजाम के नाम पर हर तरफ लापरवाही नजर आ रही है। सुरक्षा की अनदेखी कर खड़ी की गई बहुमंजिला भवनों में छत को टिन सैड लगाकर बंद कर दिया। अंडरग्राउंड में प्रवेश और निकासी का प्रर्याप्त इंतजाम नहीं है। ऐसे में हादसा होने पर बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। दूसरी तरफ नगर परिषद के जिम्मेदार भवन निर्माण स्वीकृति देकर पूरी तरह नींद में है। परिषद की ओर से अब तक किसी भी क्षेत्र की मौके की हकीकत स्थिति नहीं देखी गई। हालत यह है कि शहर के कई प्रमुख व्यावसायिक कॉम्पलेक्सों में आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं है।
परिषद को नहीं पता कितना है इमारत
सीकर में बहुमंजिला भवनों की स्थिति यह है कि जिसको जहां पर जगह मिली, वहीं पर बहुमंजिला भवन खड़ा कर दिया। खतरों के बारे में परिषद और बिल्डर दोनों ने ही नहीं सोचा। बिल्डर की स्थिति भवन का निर्माण कर सौंपने व बेचने तक की रही। परिषद ने कभी मजबूती से इन इमारतों का सर्वे तक नहीं किया। ऐसे मे स्थिति यह है कि नगर परिषद के पास अभी तक यह पता नहीं है कि शहर में कितनी बहुमंजिला इमारते हैं।
नियमों के पेच में दी फायर एनओसी
नियमानुसार 15 मीटर से ऊंचे भवन के लिए फायर एनओसी लेना अनिवार्य है। सीकर में निर्माण स्वीकृति के दौरान इस नियम का ही फायदा उठाया गया। बिल्डर भवन की स्वीकृति 15 मीटर से कम की लेता है। लेकिन परिषद ने इसे गंभीरता से नहीं लिया कि जहां पर 50 से अधिक लोगों की आवाजाही और 300 मीटर से बड़े कंस्ट्रक्शन एरिया के भवन के लिए भी फायर एनओसी लेना आवश्यक है। इसके अलाव 100 वर्ग मीटर से बड़े संस्थान, कार्यालय, गोदाम व गैराज के लिए भी फायर एनओसी लेना होगा। विद्यालय, महाविद्यालय, एक हजार वर्गफीट क्षमता से बड़े रेस्टोरेंट, चिकित्सालय, बैंक, वित्तिय संस्थान और औद्योगिक इकाइयां भी दायरे में आ गए हैं।
नहीं हो पा रही एफआइआर
अग्नि हादसों को लेकर नगर परिषद के साथ पुलिस भी लापरवाह बनी हुई है। शहर के भास्कर मेगा मॉल में चौथी मंजिल पर लगी आग के मामले में पीडि़त दिनेश कुमार शर्मा तीन दिन से पुलिस के चक्कर लगा रहा है, लेकिन अभी तक उसकी एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई। दिनेश का कहना है कि कोतवाली पुलिस ने उसे कहा कि इस मामले में बिल्डर के खिलाफ किसी तरह का मामला नहीं बनता। बाद में वह डीवाईएसपी शहर के कार्यालय गया। वहां पर उसका परिवाद तो ले लिया गया, लेकिन अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। इस बहुमंजिला भवन में फायर फाइटिंग सिस्टम तो लगाया गया था, लेकिन बिना पानी और मोटर के। ऐसे में दिनेश शर्मा व उसके पड़ौसी की दुकान में आग से लाखों का नुकसान हो गया।
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