scriptफिजा में घुलने लगे फाग के रंग | The colors of the phag begin to dissolve in the body | Patrika News
सीकर

फिजा में घुलने लगे फाग के रंग

होलाष्टक 22 से, होली का दहन 28 को

सीकरMar 16, 2021 / 10:17 pm

Devendra

होली पर पिचकारी का सजा बाजार...

होली पर पिचकारी का सजा बाजार…

सीकर. होली का त्योहार नजदीक आने के साथ ही फिजा में फाग के रंग घुलने लगे हैं। शहर के गली मोहल्लों में रात होने के साथ ही चंग की थाप सुनाई देने लगी है। कई जगह सामूहिक फागोत्सव के आयोजन भी हो रहे हैं। होली का दहन इस बार 28 मार्च को होगा, लेकिन इसके आठ दिन पहले 22 मार्च से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे। इस दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं होंगे। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि शुभ एवं मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि के लिए होलाष्टक का समय उपयुक्त नहीं माना जाता, लेकिन फाल्गुन माह भगवान कृष्ण और शिव को समर्पित होता है। ऐसे में इसलिए होलाष्टक की अवधि में इनकी पूजा करना शुभ माना गया है। ग्रहों में बढ़ती है नेगेटिव एनर्जी होलाष्टक में शुभ कार्य न करने की कुछ वजह बताई गई है। ज्योतिष शास्त्र का कहना है कि इन दिनों में वातावरण में नेगेटिव एनर्जी काफी रहती है। होलाष्टक के अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक अलग-अलग ग्रहों की नकारात्मकता काफी बढ़ती है। जिस कारण इन दिनों में शुभ कार्य न करने की सलाह दी जाती है। इनमें अष्टमी तिथि को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चुतर्दशी को मंगल तो पूर्णिमा को राहु की ऊर्जा काफी नकारात्मक रहती है। ऐसे में इन दिनों में निर्णय लेने की क्षमता काफी कमजोर होती है। होलाष्टक में भले ही शुभ कार्यों के करने की मनाही है लेकिन देवताओं की पूजा अर्चना करनी चाहिए।होली और अष्टक से बना है होलाष्टक होलाष्टक शब्द होली और अष्टक से मिलकर बना है। जिसका मतलब होता है होली के आठ दिन। हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है, जिसके बाद अगले दिन सुबह को रंग वाली होली खेली जाती है। इस बार होलिका दहन 28 मार्च को किया जाएगा।
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