सीकरPublished: May 15, 2019 07:19:11 pm
Vinod Chauhan
बिना शेड के ही शुरू कर दिया प्लांट
परिषद जुगाड़ से बना रही है गीले कचरे की खाद
सीकर. स्वाच्छता सर्वेक्षण की तैयारी में जुटी परिषद ने बिना संशाधनों के ही गीले कचरे से खाद बनाना शुरू कर दिया है। नानी में शुरू किए गए खाद बनाने के इस प्लांट पर अभी तक टिन सैड भी नहीं लगाए गए हैं। ऐसे में कड़ी धूप के कारण कचरे से खाद तैयार होने में भी निर्धारित से एक माह का अधिक समय लग रहा है। जनवरी माह में शुरू किए गए इस प्रयोग की स्थिति यह है कि अभी तक खाद का एक ढेर भी तैयार नहीं हो पाया है। परिषद के कर्मचारी मंगलवार को तेज धूप में ही इस ढेर को पलटते नजर आए।
शहर में तीन स्थानों पर कंपोस्टिंग मशीन लगाने की योजना
नानी के प्लांट में भले ही अभी तक सैड नहीं लगा हो, जबकि परिषद ने शहर में तीन स्थानों पर कंपोस्टिंग मशीन लगाने की योजना बना रखी है। इनमें से एक मशीन नवलगढ़ रोड पुलिया के पार जीएसएस के पास परिषद की खाली पड़ी जमीन पर लगाई जाएगी। इसके लिए परिषद ने 22 लाख रुपए लागत की एक मशीन खरीद ली है। दो मशीन खरीदने की प्रकियां चल रही है।
पार्कों में उपयोग लेने की कवायद
नानी बीड़ में तैयार की जा रही गीले कचरे की खाद का उपयोग शहर के पार्कों में किए जाने की योजना है। पार्कों के लिए परिषद अब तक खाद बाजार से खरीदकर उपयोग ले रही थी। गीले कचरे का निस्तारण के लिए यह कवायद शुरू की गई। लेकिन अभी तैयार खाद किसी भी पार्क में काम नहीं आई है।
छात्रावासों और फल सब्जी के कचरे का होगा उपयोग
प रिषद ने पहली कंपोस्टिंग मशीन पिपराली रोड पर लगाना इसलिए तय किया है कि इस क्षेत्र में सर्वाधिक छात्रावास है। इसके अलावा फल-सब्जी की अस्थाई मंडी भी पुलिया के पास है। डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के दौरान मिले गीले कचरे का इस मशीन में उपयोग किया जाएगा। खास बात है कि परिषद ने मशीन देने वाली कंपनी ही पांच वर्ष तक इस मशीन के संचालन और रख रखाव का जिम्मा संभालेगी।
अवधि 90 दिन, हो गए 120 दिन
गीले कचरे से सामान्य तरीके से 90 में खाद तैयार हो जाती है। परिषद के अधिकारियों ने बताया कि खाद बनाने के लिए गड्ढ़ा खोदकर गीले कचरे का ढेर बनाया जाता है। इस ढेर को हर सप्ताह जेसीबी की सहायता से पलटना होता है। साथ ही इसमें पानी व अन्य सामग्री डाली जाती है। औसतन 90 दिन में खाद बनकर तैयार हो जाती है। परिषद ने सीकर में खाद बनाने का कार्य जनवरी माह में शुरू किया था। प्लांट पर सैड नहीं होने के कारण धूप सीधे ही ढेर पर गिरती है। धूप से सीधे बचाने के लिए परिषद ने ढेर को मोटे कपड़ों से ढक रखा है। सैड नहीं होन के कारण चार माह बाद भी खाद तैयार नहीं हो पाई है।
इनका कहना है…
सीकर नगर परिषद ने प्रदेश में पहली बार स्वयं के स्तर पर गीले कचरे से खाद बनाने का प्रयोग शुरू किया है। खाद तीन माह में तैयार हो जाती है, लेकिन सैड नहीं होने से एक माह ज्यादा लग गया। जल्द ही तैयार खाद का शहर के पार्कों में उपयोग शुरू किया जाएगा। शहर में तीन स्थानों पर कंपोस्टिंग मशीन भी लगाई जा रही है।
गौरव सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर परिषद सीकर