1952 से हो रही है मांग
नीमकाथाना को जिला बनाने की मांग 1952 से लेकर वर्तमान तक नीमकाथाना क्षेत्र से चुने गए जनप्रतिनिधि करते आ रहे हैं। विधायक सुरेश मोदी ने विधानसभा एवं विभिन्न मंचों पर भी जिला बनाने की मांग प्रमुखता से रखी है। विभिन्न जनप्रतिनिधियों व जनसंगठनों से प्रस्ताव एवं ज्ञापन भी दिए है। क्षेत्रीय नागरिक परिषद, जयपुर ने भी नीमकाथाना की जनता की ओर से नीमकाथाना को जिला बनाने की मांग की है।
भौगोलिक दृष्टि से अलग है नीमकाथाना
प्रस्तावित जिले की भौगोलिक स्थिति व मांग की पृष्ठभूमि विश्व की प्राचीनतम पर्वत माला अरावली इस प्रस्तावित जिले को शेष जिले से पृथक करती है। प्रस्तावित जिला भौगोलिक दृष्टि से मैदानी प्रकार का है । इसमें जगह-जगह पर अरावली की छितरी हुई पहाड़ियां है। क्षेत्र में खंडेला की पहाड़िय़ों से राजस्थान की प्रसिद नदी कांतली बहती है। प्रस्तावित जिले की उत्तरी सीमा झुंझुनूं जिले से पूर्वी सीमा जयपुर व दक्षिण पश्चिम सीमा सीकर से एवं उतरी पश्चिती सीमा झुंझुनूं जिले से तथा उतरी पूर्वी सीमा हरियाणा राज्य से लगती है।
आसपास क्षेत्र का केंद्र है नीमकाथाना
प्राचीनकाल से ही नीमकाथाना शेखावाटी अंचल का केंद्र बिन्दु रहा है। वर्तमान में भी भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक राजनैतिक, शैक्षिक प्रशासनिक एवं जनसाख्यिकी दृष्टि से नीमकाथाना आस-पास के क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए जिला बनने के करीब सभी मापदंड पूर्ण करता है। प्रस्तावित जिले में सीकर की नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर, खंडेला, रींगस, पाटन तहसील व झंझनूं जिले की खेतड़ी, उदयपुरवाटी व गुढ़ा तहसीलें शामिल की जा सकती है।