सीकर

विधायक की पहल के बाद भी शहर की इस गंभीर समस्या को दूर करने में रूचि नहीं ले रही सरकार

शहर में परेशानी का सबब बने बेसहारा नंदियों की समस्या के समाधान के लिए शहरी सरकार से लेकर राज्य सरकार तक उदासीन है

सीकरSep 13, 2019 / 05:37 pm

Vinod Chauhan

विधायक की पहल के बाद भी शहर की इस गंभीर समस्या को दूर करने में रूचि नहीं ले रही सरकार

सीकर.
शहर में परेशानी का सबब बने बेसहारा नंदियों की समस्या के समाधान के लिए शहरी सरकार से लेकर राज्य सरकार तक उदासीन है। हर दिन शहर में नंदी (सांड) लोगों को शिकार बना रहे हैं। चार जनों की मौत, दो दर्जन से अधिक लोगों के घायल और लाखों रुपए के सामान का नुकसान होने के बाद भी समास्या के समाधान के लिए स्थाई कार्ययोजना नहीं बनी है।
जन सहयोग से बनी नंदीशाला लोगों को राहत नहीं दे पाई है। विधायक राजेन्द्र पारीक की ओर से वन भूमि में नंदियों के रहने की व्यवस्था करने के सुझाव पर भी अभी तक सरकार ने कदम आगे नहीं बढ़ाए हैं। नगर परिषद की यह योजन सरकारी स्वीकृति के अभाव में कागजों में ही अटकी हुई है।
अभ्यारण्य विकसित करने की थी योजना
शहर में नंदियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए परिषद ने नानी बीड़ में स्थित करीब सौ बीघा जमीन में नंदी अभ्यारण्य बनाए जाने की योजना बनाई थी। योजना में नरेगा के तहत इस जमीन पर चार दीवारी करवाने के बाद बीड़ की जमीन में नंदियों के लिए धामण व सेवण घास की खेती, पानी की व्यवस्था और सैड लगाकर नंदी अभ्यारण्य विकसित किया जाना था। लेकिन सरकार ने अभी तक इस समस्या के समाधान के तहत कदम नहीं बढ़ाया है।
पंचायत स्तर पर हो समाधान तो बने बात
बेसहारा नंदियों की समस्या के समाधान के लिए निकाय के साथ पंचायत स्तर पर कार्य योजना बनाने की आवश्यकता है। एेसे में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में वन भूमि में नरेगा के तहत चार दीवारी का निर्माण करवा कर पंचायतों के जरिए नरेगा श्रमिकों को इनकी देखभाल का जिम्मा दिया जा सकता है। इसके अलावा जिन ग्राम पंचायत समिमि क्षेत्रों में टोल नाके संचालित है। वहां पर सरपंच के जरिए इन पशुओं के चारे पानी की व्यवस्था करवाई जा सकती है। साथ ही टोल रोड टैक्स में ही इनके बजट का प्रावधान किया जा सकता है। इससे राजमार्ग पर होने वाली दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।
बढ़ रही है समस्या
बेसहारा नंदियों की समस्या केवल शहरी क्षेत्र की नहीं है। शहर की बाहरी कॉलोनियों और गांव-ढाणियों के लोग भी इनसे परेशान है। सडक़ों पर दुर्घटनाओं का भी प्रमुख कारण नंदी बन रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में किसान की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। नंदियों की संख्या अधिक होने के कारण कोई भी निकाय या पंचायत इनका स्थाई समाधान नहीं कर पा रहा है। गौशालाओं के संचालक भी नंदी को रखने में रूचि नहीं दिखाते। एेसे में समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।
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