प्रदेश के हजारों शिक्षकों को हो रहा नुकसान!
व्याख्याता में प्रमोशन के समय शिक्षक की सेवा तीन वर्ष से कम है, तो उसे 27 वर्षीय लाभ नहीं मिल रहा। यदि वह पदोन्नति का परित्याग करता है, तो उसे अगली एसीपी नहीं मिलती है। और पदोन्नति लेता है, तो उसे 30 वर्ष की सेवा पर एसीपी मिलेगी।

सीकर. प्रदेश के हजारों शिक्षक तीसरी एसीपी से वंचित हो रहे हैं। व्याख्याता में प्रमोशन के समय शिक्षक की सेवा तीन वर्ष से कम है, तो उसे 27 वर्षीय लाभ नहीं मिल रहा। यदि वह पदोन्नति का परित्याग करता है, तो उसे अगली एसीपी नहीं मिलती है। और पदोन्नति लेता है, तो उसे 30 वर्ष की सेवा पर एसीपी मिलेगी। उससे पहले वह सेवा निवृत हो जाएगा। इन सब कारणों के चलते शिक्षकों को आर्थिक लाभ से वंचित होना पड़ रहा हैं। गौरतलब है कि राज्य सेवा में 25 जनवरी 1992 से सभी कर्मचारियों को 9, 18 व 27 वर्षीय चयनित वेतनमान देने की व्यवस्था की गई। तथा राजपत्रित सेवा में 10, 20 और 30 वर्ष चयनित वेतनमान दिया जाने लगा। लेकिन शिक्षक वर्ग में दूसरी विसंगति शिक्षकों को इस आर्थिक परिलाभ से वंचित कर रही है।
27 वर्ष पूर्ण होने से पहले पदोन्नति
तृतीय श्रेणी में नियुक्त शिक्षकों को तय समय 9 वर्ष पर चयनित वेतनमान का लाभ मिल जाता है। 18 वर्ष पर दूसरी एसीपी भी उसे समय पर मिल जाती है। उसके बाद सैकड़ ग्रेड और सैकड़ ग्रेड से व्याख्याता पद पर पदोन्नति मिल जाती हैं। व्याख्याता पद पर पदोन्नति से पूर्व यदि उसके 27 वर्ष पूर्ण हो जाते है, तो सभी परिलाभ उसे मिलते है। लेकिन यदि 27 वर्ष पूर्ण होने से पहले यदि उक्त शिक्षक की पदोन्नति व्याख्याता के पद पर होती है, तो उसे तीसरी एसीपी 30 वर्ष की सेवा पर दी जाती है।
30 वर्ष पर मिलती एसीपी
चूंकि 18 वर्षीय चयनित वेतनमान तक वह राजपत्रित सेवा में नहीं था। इसलिए 18 वर्षीय चयनित वेतनमान उसे सही समय पर ही मिल गया। लेकिन व्याख्याता बनने के उपरांत 18 वर्ष के बाद 9 की जगह 10 वर्ष पर एसीपी मिलनी चाहिए। जो 28 वर्ष पर मिलनी चाहिए। लेकिन 28 वर्ष की बजाय 30 वर्ष पर दी जाती है। जबकि जिस शिक्षक की पदोन्नति नहीं होती है। उसे 27 वर्ष पर ही चयनित वेतनमान मिल जाता है। तृतीय एवं द्वितीय श्रेणी में रहने वाला शिक्षक व्याख्याता से वेतन में आगे निकल जाता है।
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