ताजा मामला सीकर जिले की श्रीमाधोपुर व खंडेला क्षेत्र की सहकारी समितियों से जुड़ा है। वहीं चूरू जिले में भी सहकारी समिति के जरिए चहेतों को लोन देने का मामला भी सामने आया है। खंडेला के दूधवालों का बास ग्राम सेवा सहकारी समिति पर भी स्थानीय लोगों ने लाखों रुपए की लोन राशि का गबन करने का आरोप लगाया है। मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग को लेकर मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री, जिला कलक्टर एवं सहकारी विभाग के रजिस्ट्रार को शिकायत भेजी है। स्थानीय निवासी जुगल किशोर, रामपाल एवं भगवाना राम जाट ने आरोप लगाया कि सहकारी समिति के कई पदाधिकारियों ने स्थानीय किसानों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर उनके नाम से लोन राशि उठा ली। जिन किसानों के नाम लोन की राशि ली गई है उन किसानों ने समिति में लोन राशि के लिए कोई आवेदन ही नहीं किया है। उन्होंने समिति से लोन राशि का भुगतान भी नहीं लिया। शिकायत में बताया है कि कर्जमाफी की सूची में एक ही परिवार के आठ लोगों के नाम भी शामिल है। व्यवस्थापक ने 2018 में सुमित्रा के नाम से 8333 रुपए का ऋण माफी का लाभ दिलाया।
लेकिन जब 2019 में ऋण माफी का बॉयोमैट्रिक वेरीफिकेशन अनिवार्य किया गया तो सुमित्रा को मुन्नी बना दिया गया। मुन्नी व्यवस्थापक के भाई रामस्वरूप की पत्नी का नाम है। पत्रिका ने जब इस मामले में पड़ताल की तो अधिकारियों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि नाम सुमित्रा उर्फ मुन्नी है। लाभार्थी एक ही है, आधार कार्ड में नाम अलग होने से ऐसा दिख रहा है। इसकी गहन जांच के बाद ही खुलासा हो पाएगा।
नोटिस आया तो पता चला: पुलिस ने दर्ज की एफआइआर
ग्राम सेवा कासरड़ा समिति के खिलाफ भी कई किसानों ने पुलिस में एफआइआर दर्ज कराई है। एफआइआर में बताया कि पिछले दिनों लगभग ७१ हजार रुपए के लोन का नोटिस मिला। इसके मिलने के बाद ग्राम सेवा समिति में सम्पर्क किया लेकिन कोई जवाब नहीं दे सका। इलाके के कई किसानों ने बताया कि वह कभी भी ग्राम सेवा सहकारी समिति में नहीं गए और लोन भी नहीं लिया। लेकिन ग्राम पंचायत क्षेत्र के कई किसानों को वसूली के नोटिस जारी किए जा रहे है। आरोप है कि स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह कारनामा हुआ है।