scriptसीकर के लाल की जोधपुर में लगाई प्रतिमा, 1984 में दिखाया था अदम्य साहस | The statue of Sikar's son in Jodhpur was shown in 1984 by indomitable | Patrika News

सीकर के लाल की जोधपुर में लगाई प्रतिमा, 1984 में दिखाया था अदम्य साहस

locationसीकरPublished: Nov 06, 2019 06:02:55 pm

Submitted by:

Gaurav

10 पैरा स्पेशल फोर्स के लांस नायक शौर्य चक्र विजेता शहीद भागीरथ मीणा की प्रतिमा का रातानाडा, जोधपुर स्थित 10 पैरा स्पेशल फोर्स के मुख्यालय में अनावरण किया गया।

सीकर के लाल की जोधपुर में लगाई प्रतिमा, 1984 में दिखाया था अदम्य साहस

सीकर के लाल की जोधपुर में लगाई प्रतिमा, 1984 में दिखाया था अदम्य साहस

सीकर. जिले में कोलीड़ा ग्राम के लाडले 10 पैरा स्पेशल फोर्स के लांस नायक शौर्य चक्र विजेता शहीद भागीरथ मीणा की प्रतिमा का सोमवार को जोधपुर रातानाडा स्थित 10 पैरा स्पेशल फोर्स के मुख्यालय में अनावरण किया गया। शहीद की प्रतिमा का अनावरण शहीद वीरांगना सावित्री देवी ने किया। शहीद के परिवार को 10 पैरा स्पेशल फोर्स की यूनिट की ओर से विशेष रुप से आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम में शहीद वीरांगना सावित्री देवी के साथ उनके पुत्र मनोहर लाल मीणा व रविंद्र मीणा सहित 10 पैरा स्पेशल फोर्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल वरुण छाबड़ा उपस्थित रहे।
तीन आंतकियों को मार दिखाया अदम्य साहस
6 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार में लांस नायक भागीरथ मल मीणा को ट्रप का एक रास्ता खोलने का टॉस्क मिला था। रास्ता खोलने के लिए इन्होंने आगे बढकऱ अदम्य साहस एवं बहादुरी का परिचय देते हुए तीन आतंकियों को मार गिराया था। इस दौरान उन्हें एक साथ कई गोलियां लगने से शहीद हो गए। मां भारती के रणबांकुरे ने रणचंडी की वेदी पर शत्रु मुंडो की माला भेंट कर एक आदर्श स्थापित कर विजय गाथा लिखी है।
शहीद को मरणोपरांत मिला शौर्य चक्र
शहीद भागीरथ मल मीणा 10 पैरा स्पेशल फोर्स के गौरव है, जिन को मरणोपरांत शौर्य चक्र से नवाजा गया था। 10 पैरा स्पेशल फोर्स का गौरव और आदर्श मानते हुए सेना ने यह निर्णय लेकर इनकी प्रतिमा स्थापित की हैं। प्रतिमा अनावरण के अवसर पर सेना के जवानों को संबोधित करते हुए कर्नल वरुण छाबड़ा ने कहा कि शहीद ने अपने देश एवं 10 पैरा यूनिट का गौरव है। उन्होंने अपनी मातृभूमि का सम्मान अपने जीवन और रक्त के साथ किया। स्वयं से ऊपर उठकर देश की रक्षा के लिए शौर्य व बलिदान की सर्वोच्च परंपरा का निर्वहन किया है। उनकी वफादारी, अदम्य साहस, यूनिट साथियों के प्रति किया गया सहयोग राष्ट्र के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है। शहीद आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी आवाज सोच रणनीति और सूझबूझ आज भी हमारे अंदर हैं।
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