यह है समस्या
शिक्षा विभाग ने पिछली डीपीसी में रिव्यू व रिवीजन सूची के 272 वरिष्ठ अध्यापकों को अस्थाई रूप से व्याख्याता बना दिया था। उस वर्ष नए नियम लागू नहीं थे। इन सभी का स्नातक में अलग तथा अधि स्नातक में दूसरा विषय था। उन्हें अस्थाई पदोन्नति दी गई थी। अब वे नए नियमों से पदोन्नति के पात्र नहीं रह गए हैं। यह सभी वर्तमान में व्याख्याता पद पर कार्य कर रहे हैं तथा उच्च माध्यमिक कक्षाओं में अध्ययन भी करा रहे हैं। यही नहीं इनको वेतन भी व्याख्याता पद का मिल रहा है। ऐसे में पुराने नियमों से अस्थाई रूप से व्याख्याता बनाए गए इन 272 वरिष्ठ अध्यापकों के बारे में सरकार को निर्णय करना है। उन्हें व्याख्याता बनाने में यह शर्त थी कि आगामी वर्षों की डीपीसी में संभावित चयन तक इन्हें व्याख्याता पद पर पोस्टिंग दी गई है। इनमें से सैकड़ों व्याख्याता अब भी डीपीसी चयनित नहीं हुए हैं। इनकी अधि स्नातक डिग्री स्नातक विषय से भिन्न है। नए नियमों के अनुसार इनका व्याख्याता पदों पर चयन संभव नही है ।
नए नियमों से प्रधानाध्यापकों पर भी फंसा पेंच
जानकारों का कहना है कि सरकार ने नए नियम बनाकर प्रधानाध्यापक माध्यमिक विद्यालय का पद ही समाप्त कर दिए हैं। विभाग के प्रधानाध्यापक वाइस प्रिंसिपल या प्रिंसिपल बनने के लिए पात्र हैं लेकिन नए नियमों में वाइस प्रिंसिपल तथा प्रिंसिपल की योग्यता अधि स्नातक सहित बीएड निर्धारित की गई है, जबकि वर्तमान में अनेक प्रधानाध्यापक केवल स्नातक ही हैं। ऐसे में वे वाइस प्रिंसिपल और प्रिंसिपल के पद पर कैसे कार्यरत रह सकेंगे।