सीकर पुलिस की पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि सूद के कारोबार के चलते समाज के लोग उस पर दबाव डाल रहे थे। ऐसे में वह मरना चाह रहा था। इस पर पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया और इसके बाद उसे न्यायिक अभिरक्षा में भिजवा दिया गया।
लाखों के लगे आरोप
सीकर उद्योग नगर थाना पुलिस ने रंगा बिल्ला को गिरफ्तार किया तो पता चला कि वह कभी सड़क किनारे ठेला लगाता था और वर्तमान में करोड़पति था। उसकी नामी बेनामी संपति की पुलिस ने जांच भी कराई। जांच में सामने आया कि दस संपतियां इसने अपने भाई व रिश्तेदारों के नाम करा रखी है, जिसमें प्लाट व मकान आदि शामिल थे।
गांव चैनपुरा दादली के श्रवण ने मुकदमा दर्ज कराकर आरोप लगाया था कि रंगा बिल्ला से उसने दस लाख रुपए उधार लिए। जिसके बदले खाली स्टाम्प पर हस्ताक्षर करवाए गए। दस लाख के 30 लाख चुकाने के बाद भी 50 हजार की और वसूली के लिए धमकियां दी जाने पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
चली गई जीवन की कमाई
सीकर के उद्योग नगर थाने में ही रियाज ने रंगा बिल्ला की नामजद रिपोर्ट दी थी। जिसमें वर्ष 2010 में ढाई लाख रुपए कर्ज के बदले उसके जीवन की पूरी कमाई सूदखोरी ने छीन ली है। आरोप लगा कि रंगा बिल्ला ने पहले इन पैसों का 2500 रुपए प्रतिदिन सूद का तय किया था।
इन्हें चुकाने के लिए उसने फिर दूसरे सूदखोर से चार लाख 65 हजार रुपए सूद पर दिलवा कर अपना हिसाब बराबर कर लिया। दूसरा सूदखोर इन रुपयों के बदले प्रतिदिन 4500 रुपए मांगने लगा। जिसको चुकाने में उसकी पत्नी के गहने बिक गए और बाद में प्लाट और दुकान बेचनी पड़ी।