आप पॉजिटिव हैं…और इतिश्री
कोरोना संक्रमण के मरीजों को सलाह देने के लिए हर जिले में वार रूम बने हुए हैं लेकिन वहां से न तो मरीज की ट्रेसिंग हो रही है और न ही इलाज के लिए सलाह दी जा रही है। वार रूम से केवल पॉजिटिव को एक फोन करके सूचना देते है और इतिश्री।
…और बढ़ जाता है वायरल लोड
प्रशासन और चिकित्सा विभाग की ओर से किसी भी तरह की सुध नहीं लेेने के कारण संक्रमित(corona positive) बेरोकटोक बाहर घूमता रहता है और संक्रमण के बाद दवाएं और एहतियात बरतने को लेकर किसी प्रकार के निर्देश नहीं देने से संक्रमित में वायरल लोड बढ़ जाता है और कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है।
खुद भर्ती हो रहे संक्रमित
यही नहीं सांवली कोविड सेंटर(covid care center) में भर्ती होने वाले अधिकांश मरीज खुद आकर भर्ती हो रहे हैं। जबकि संक्रमित की स्थिति गंभीर होने पर संबंधित को भर्ती कराना प्रशासन के अधीन होता है। कोरोना के मरीजों का उपचार करने वाले चिकित्सकों ने बताया कि संक्रमितों की सिटी स्कैन करवाने के बाद पता चल रहा है कि कई मरीजों के फेफड़ों की ऊपरी झिल्ली पूरी तरह सूख चुकी है। ऐसे मरीजों को ठीक होने में समय लगता है। इस कारण मरीजों का रिकवरी रेट भी गिर रहा है। निजी अस्पतालों में चेस्ट फिजिशियन के पास कोविड फाइब्रोसिस के औसतन तीन से पांच मरीज पहुंच रहे हैं।
एक ही इलाज…रैफर!
कोरोना वायरस के बदले स्वरूप के बावजूद कम सैम्पल होने के बावजूद पॉजिटिव का आंकडा बढ़ा है। अभी भी इफेक्टिव सैम्पलिंग होने के कारण सटीक स्थिति का पता नहीं लग रहा है। अस्पतालों में भर्ती सिम्पटोमेटिक दो मरीजों को औसतन रोजाना औसतन जयपुर रैफर करना पड़ रहा है।
जबकि विभाग बता रहा खुद को मुस्तैद
इधर, पीएमओ डा. अशोक चौधरी ने बताया कि पिछले साल की व्यवस्थाओं को देखते हुए इस बार सांवली कोविड अस्पताल (sanwali covid hospital) की व्यवस्थाओं की रोजाना समीक्षा की जाएगी। नर्सिंग स्टाफ रोजाना कोविड उपचार के दौरान संसाधनों की कमी की रिपोर्ट करेगा। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सांवली कोविड सेंटर में सभी वार्डों के बाद बुधवार से आईसीयू को शुरू कर दिया गया है। कोविड अस्पताल में अब दो की बजाए तीन चिकित्सक जिनमें एक एनेस्थेटिक, एक फिजिशियन और एक अन्य चिकित्सक की ड्यूटी तीन शिफ्टो में रहेगी। इसके अलावा अतिरिक्त नर्सिंग स्टाफ भी लगाया गया है।