ये है कारण जिले में पिछले पन्द्रह वर्षों के दौरान मूंग, मोठ, चंवळा की औसत से भी कम क्षेत्र में बुवाई हुई है। दलहन का अधिकांश बुवाई क्षेत्र बारानी है। कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि बारानी क्षेत्रों में बुवाई के लिए किसान बीजो उपचार नहीं करते हैं, इस कारण दलहनी फसलें रोग कीट की आसानी से चपेट में आ जाती है। यही कारण है कि पिछले पन्द्रह वर्ष के औसत की तुलना में पिछले साल मूंग की बुवाई करीब एक हजार हैक्टेयर में कम हुई है। वहीं खरीफ सीजन में मौसम की मार के कारण सबसे ज्यादा असर दलहन पर पड़ता है। जिससे गुणत्ता कमजोर होने से किसानों को रुझान कम होता जा रहा है।
हर बार नुकसान
शेखावाटी में कई किसान पशुओं के चारे के लिए देसी बाजरे व मूंग की बुवाई करते हैं। कई बार पुराना बीज होने के कारण कई बार इन बीजों का अंकुरण प्रतिशत संकर बीज की तुलना में कम होता है। वहीं मौसम की मार के कारण भी परेशानी होती है। इस कारण् किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है।
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शेखावाटी में कई किसान पशुओं के चारे के लिए देसी बाजरे व मूंग की बुवाई करते हैं। कई बार पुराना बीज होने के कारण कई बार इन बीजों का अंकुरण प्रतिशत संकर बीज की तुलना में कम होता है। वहीं मौसम की मार के कारण भी परेशानी होती है। इस कारण् किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है।
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