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संस्कृति को बचाने के लिए चार पीढियों से निशुल्क सेवा में जुटे यह परिवार

locationसीकरPublished: Oct 13, 2018 01:18:48 pm

Submitted by:

Vinod Chauhan

सीकर. करीब दस से बारह दिन ना भोजन की चिंता रहती है ना परिवार के कार्य की। दिन में कोई पढ़ाई करता है तो कोई नौकरी, लेकिन शाम होते ही जुट जाते हैं रामलीला में।

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संस्कृति को बचाने के लिए चार पीढियों से निशुल्क सेवा में जुटे यह परिवार


राजेश शर्मा
सीकर. करीब दस से बारह दिन ना भोजन की चिंता रहती है ना परिवार के कार्य की। दिन में कोई पढ़ाई करता है तो कोई नौकरी, लेकिन शाम होते ही जुट जाते हैं रामलीला में। कोई अपने संवाद याद कर रहा है तो कोई वस्त्र सज्जा में व्यस्त है। कोई दृश्य सज्जा में कसर नहीं छोडऩा चाहता तो कोई पूरी व्यवस्था को संभाले हुए है। इतनी मेहनत के लिए कोई भी शुल्क नहीं लेते। कोई बीस साल से जुटा है तो कोई तीस से। किसी के दादा यह कार्य करते थे तो किसी के पिता इस कार्य में व्यस्त हैं। सभी की चिंता और ध्येय एक ही है, हमारी लोक संस्कृति जिंदा रहे। धर्म के प्रति आस्था बनी रहे। सांस्कृतिक मंडल की ओर से पिछले 65 वर्ष से चल रही रामलीला में अनेक परिवार ऐसे हैं जिनकी तीसरी पीढ़ी इस लोक संस्कृति को जिंदा किए हुए है तो किसी की चौथी पीढ़ी भी निशुल्क सेवा दे रही है।
रामलीला के संस्थापक सदस्य रहे किशन लाल चौकड़ीका वर्ष 1999 तक मंत्री रहे। अनेक प्रकार की व्यवस्था संभाली। उनके पुत्र जगदीश चौकड़ीका वर्तमान में सचिव हैं।
पर्दे की पीछे की व्यस्था संभाल रहे हैं। रिहर्सल करवाते हैं। पहले वे खुद भी अभिनय करते थे। किशनलाल के पौते नवीन चौकडिक़ा भी सक्रिय हैं। वे राक्षस, वानर, हास्य नाटकों सहित रामलीला में कई प्रकार के अभिनय कर चुके। अब किशनलाल की चौथी पीढ़ी के प्रपौत्र एवं नवीन
के छोटे भाई का बेटा सोहम भी अभिनय कर रहा है। इस बार
उसने बाल राम व वानर का अभिनय किया।
जयपुर से आते हैं व्यवस्था संभालने
चांदपोल गेट के पास रहने वाले मुरारी लाल जांगिड़ पिछले पांच-छह वर्ष से परिवार के साथ जयपुर रह रहे हैं। सीकर की रामलीला उनको पंद्रह दिन तक फिर सीकर खींच लाती है। वे करीब 45 वर्ष से दृश्य सज्जा का कार्य निशुल्क कर रहे हैं। उनके भाई पवन जांगिड़ भी करीब 25 वर्ष से दृश्य सज्जा में सहयोग कर रहे हैं। अब भतीजे पंकज, मनोज व अन्य भी निशुल्क सेवा दे रहे हैं। इसी प्रकार संजय कुमार जोशी नंदी, सुखेन का रोल कर चुके। इनके पिता दीपचंद जोशी लक्ष्मण का किरदार निभा चुके। भतीजा अमित लव व वानर सहित कई किरदार निभा रहा है।
38 साल बने रावण
हरिराम बहड़ 38 वर्ष तक रावण बने। उनके पुत्र शशि बहड़ अभी प्रचार मंत्री हैं तथा पर्दे के पीछे की व्यवस्था संभालते हैं। उन्हीं के परिवार के बनवारी बहड़ अभी रावण का अभिनय कर रहे हैं। वहीं मंडल के संयुक्त मंत्री जानकी प्रसाद इंदौरिया पूरी व्यवस्था संभाले हुए हैं। वे कार्य में इतने लीन रहते हैं कि रात को भी घर नहीं जा पाते। वे विभीषण का अभिनय कर चुके। उनके पुत्र भावेश सभासद व दीवान का अभिनय कर चुके। अब पौते वानर व अन्य छोटे रोल कर रहे हैं। इसी प्रकार रामचंद्र जोशी सीता का अभिनय कर चुके। उनके पुत्र लक्ष्मीकांत जोशी भरत, इंद्र, राजकुमार का अभिनय कर चुके। अब पौते वानर का अभिनय कर रहे हैं।
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