कार्रवाई का भी डर
अधिक से अधिक छात्र-छात्राओं को विद्यालयों से जोडऩे के लिए इस वर्ष प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग ने दो-दो बार प्रवेशोत्सव अभियान चलाए। साथ ही ड्रॉप-आऊट, अनामांकित विद्यार्थियों को भी शत-प्रतिशत विद्यालयों से जोडऩे के लक्ष्य दिए थे। लक्ष्यों की पूर्ति नहीं होने पर विभागीय कार्रवाई का भी डण्डा अलग से चलाया। ऐसे में कागजों में तो विद्यालयों में नामांकन के लक्ष्य पूर्ण कर दिए गए।
पद और स्कूल टूटने का खौफ
शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो विभाग कम नामांकन पर स्कूल को मर्ज या शिक्षकों के पद तोडऩे की कार्रवाई करता है। ऐसेे में कई बार छद्म नाम भी स्कूल में चढ़ा दिए जाते हैं। इस कारण भी यह गड़बड़ी हो सकती है।
यह है मामला
हाल में राजस्थान प्रारम्भिक शिक्षा परिषद् ने संस्था प्रधानों की ओर से विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन यू डाइस डाटा 2017-18 में नामांकन का यू डाइस 2016 -17 के नामांकन से मिलान किया। इन आंकड़ों में जमीन-आसमान का अंतर आया। कई विद्यालयों में इसी सत्र में गत वर्षों की तुलना में 50 से अधिक का नामांकन कम हुआ है, तो कई विद्यालयों में एक साथ 100 का नया नामांकन दर्शाया है। इस पर परिषद कि आयुक्त जोगाराम ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को जिलेवार विद्यालयों में नामांकन की जांच विद्यालय के एसआर रजिस्टर, एमडीएम पंजिका, वास्तविक उपस्थिति एवं यू-डाइस प्रपत्र 2017-18 से कर वास्तविक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
फैक्ट-फाइल
7789 स्कूलों में होगी नामांकन सत्यता की जांच
5739 विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें 50 से अधिक नामांकन कम हुआ है।
2050 विद्यालयों ने 100 से अधिक नामांकन बताया है।
1 लाख 38 हजार 742 का नामांकन प्रारम्भिक शिक्षा विभाग में है फिलहाल