स्कूल को शहीद के नाम का इंतजार
लक्ष्मणगढ़. स्कूलों मे पढऩे वाली राष्ट्र की नई पीढ़ी देश के शहीदों से प्रेरणा लेती रहे और बचपन से ही उनमें देशसेवा का जज्बा बना रहे। इसी सोच के साथ सरकार ने राजकीय विद्यालयों का नामकरण शहीदों के नाम से करने का निर्णय लिया था, लेकिन समीपवर्ती नरोदड़ा गांव का राजकीय विद्यालय आज भी गांव के लाड़ले और बहादुर शहीद के नाम का इन्तजार कर रहा है। ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के बाद शिक्षा मंत्री की सहमति हो जाने के बावजूद विद्यालय का नामकरण शहीद मोहनसिंह के नाम से नहीं हो पाया है।
1971 के युद्ध में हुए थे शहीद
नरोदड़ा गांव के मोहनसिंह सन 1971 के भारत-पाक युद्ध मे दुश्मनों का सामना करते हुए शहीद हुए थे। सरकार की ओर से राजकीय विद्यालयों का नामकरण शहीदों के नाम से करने का निर्णय करने के बाद नरोदड़ा ग्राम पंचायत की ओर से भी दो साल पहले मीटिंग मे राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय नरोदड़ा का नाम शहीद मोहनसिंह के नाम से करने का प्रस्ताव पारित कर प्रदेश के शिक्षा विभाग को भेजा गया था। सरपंच महेन्द्र सिंह एवं गांव के अन्य प्रतिनिधि इस संबंध मे शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी से मिलकर भी गुहार कर चुके हैड्ड लेकिन अभी तक मामला सरकारी कार्यालयों से बाहर नहीं आ पाया है। इससे शहीद परिवार सहित ग्रामीण निराश हैं। ग्रामीणों ने कहा कि यदि सरकार सही मायने में शहीदों की शहादत को सम्मान देना चाहती है तो उसे नामकरण आगामी सत्र में ही कर देना चाहिए। शहीद मोहनसिंह के तीन पुत्रों में से दो श्रवण तथा रिछपाल भी देश की सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं जबकि बड़े बेटे केशरदेव बैंक सेवा में कार्यरत हैं।