राजस्थान में पटरियां सुरक्षित ना 'पांवणेÓ
सीकरPublished: Nov 19, 2022 11:16:42 pm
तीन दशक से ठहरी नफरी, रेलवे में 300 फीसदी बढ़े अपराध- प्रदेश में कमजोर है जीआरपी का ढांचा- रेल यात्रियों की सुरक्षा लेकर गंभीर नहीं है रेलवे बोर्ड- मुख्यमंत्री के पत्र का भी नहीं हो रहा असर


रेलवे ट्रैक
देवेन्द्र शर्मा शास्त्री सीकर. उदयपुर रेलवे ट्रैक पर विस्फोट के बाद सुरक्षा एजेंसियों के साथ पुलिस तक सकते में हैं, लेकिन प्रमुख जिम्मेदार जीआरपी चुप्पी साधे बैठी है। जीआरपी के भरोसे प्रदेश में न रेल की पटरिया सुरक्षित हैं ना ही पर्यटक और पांवणे...। वजह है तीन दशक में प्रदेश में रेलवे के ट्रैक, गाडिय़ों के साथ ट्रेनों में होने वाले अपराध में तीन सौ गुना तक बढ़ोतरी। उधर, जीआरपी का ढांचा कमजोर हुआ है। स्वीकृत पदों का अनुमोदन भी तीन दशक से रेलवे बोर्ड में अटका हुआ है। विभाग के साथ मुख्यमंत्री तक की ओर से रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड को पत्र भेजे गए, लेकिन पदों के अनुमोदन की स्वीकृति नहीं मिली। इसकी प्रमुख वजह यह है कि जीआरपी का बजट रेलवे बोर्ड और राज्य सरकार 50-50 फीसदी वहन करते हैं। जबकि राजस्थान देश का प्रमुख पर्यटक स्थल और रेल यहां आवागमन का प्रमुख साधन है।