लापरवाही से पहुंचे सामान्य स्कूलों में
प्रदेश के कई जिलों में विशेष शिक्षक अपनों की मेहरबानी व विभाग की लापरवाही से सामान्य स्कूलों में पहुंच गए। इस कारण दिव्यांंगों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है। फिलहाल शिक्षा विभाग के पास मानसिक विमंदित, मूक-बधिर व नेत्रहीन श्रेणी के विशेष शिक्षक है। इनमें से कई शिक्षकों ने मल्टीपल विकलांगता के पाठ्यक्रम भी किए है। इसके बाद भी प्रदेश में दिव्यांगों की शिक्षा के ढ़ांचे बिगडऩे को विभाग ने गंभीरता से लिया है।
खुले मॉडल स्कूल तो मिले राहत
विशेष शिक्षकों के शैक्षिक उन्नयन को लेकर खूब दावे हुए। लेकिन अभी तक दिव्यांगों का उच्च शिक्षा का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है। कांग्रेस ने पिछले राज में हर ब्लॉक स्तर पर प्राथमिक शिक्षा के ढांचे को मजबूत करने की कवायद की थी। इसके बाद भाजपा राज में विशेष शिक्षा को लेकर कई नवाचार हुए। दिव्यांगों बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि यदि सरकार हर जिले में मानसिक विमंदित, मूक-बधिर व नेत्रहीन विद्यार्थियों के लिए विद्यालय का संचालन करती है तो काफी हद तक फायदा मिल सकता है।
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नवीं से बारहवीं के शिक्षक नहीं
प्रदेश में कक्षा नवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग के पास अभी तक विशेष शिक्षक नहीं है। सबसे पहले वर्ष 2015 में द्वितीय श्रेणी विशेष शिक्षकों के पदों के लिए भर्ती निकाली थी। लेकिन भर्ती कानूनी उलझनों में फंस गई। अब तक सभी चयनितों को नौकरी नहीं मिल सकी है। हालांकि विभाग का दावा है कि जुलाई के आखिर तक द्वितीय श्रेणी के सभी चयनितों को ब्लॉकों में नियुक्ति दे दी जाएगी।
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पिछली सरकार ने गलत तरीके से लगाया
शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ( Govind Singh Dotasra ) ने बताया कि पिछली भाजपा सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा दिव्यांग विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। 83 विशेष शिक्षकों को ऐसे स्थानों पर लगा दिया जहां दिव्यांग विद्यार्थी ही नहीं है। जहां विद्यार्थी नहीं है वहां शिक्षक अपनी प्रतिभा का लाभ विभाग को नहीं दे पा रहे है। इसलिए उर्दू व वाणिज्य व्याख्याताओं की तरह विशेष शिक्षकों को भी आठ से कम नामांकन वाले स्कूलों से हटाया जाएगा।