script

मानसून की बेरूखी से दो अरब की फसल तबाह, फसल को देख फुट-फुट कर रो पड़े किसान…

locationसीकरPublished: Aug 20, 2017 01:16:00 pm

Submitted by:

vishwanath saini

मानसून की बेरूखी के कारण करीब दो अरब की फसल सूख चुकी है। जिले में मानसून पर निर्भर खरीफ फसल अब नुकसान के दायरे में आ गई है।

sikar news
पूरण सिंह शेखावत, सीकर.

बाजरा, दलहन, मूंगफली, ग्वार सहित अन्य खरीफ की फसलें प्यासी होकर दम तोड़ रही है। सावन में लहलहाने वाले खेत सूख गए हैं। फसलें चौपट होने के कगार पर है। मानसून की यही बेरुखी बनी रही तो फसल में नुकसान का आंकड़ा कई गुना बढ़ जाएगा। गौरतलब है कि जिले में खरीफ सीजन में बुवाई के लिए कृषि विभाग को पांच लाख एक हजार हेक्टेयर क्षेत्र का लक्ष्य दिया गया था। जिसकी एवज में चार लाख 84 हजार हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है। लेकिन मानसून की बेरुखी हावी है।

दलहन:


दलहन फसलों में चंवळा, मूंग, मोठ खरीफ प्रमुख है। इन फसलों का क्षेत्र 60 हजार हैक्टेयर है। प्रति हेक्टेयर पांच क्विंटल के औसत के अनुसार अनुमानित उत्पादन 30 हजार मीट्रिक टन है। 3500 रुपए प्रति क्विंटल के लिहाज से नुकसान 26 करोड़ 62 लाख रुपए तक पहुंच गया है।

ग्वार:


जिले में इस बार एक लाख हेक्टेयर में ग्वार का औसत उत्पादन 80 हजार मीट्रिक टन आंका जा रहा है। तीन हजार रुपए क्विंटल के औसत भाव के अनुसार नुकसान की राशि दो अरब 40 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। जो बहुत अधिक है।

मूंगफली:


खरीफ 2017 में मूंगफली की बुवाई 20 हजार हेक्टेयर में हुई है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन 19 क्विंटल तक हो जाता है। मूंगफली में औसत नुकसान 25 से 27 फीसदी तक हो चुका है। 3500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से नुकसान की राशि 37 करोड़ 24 लाख रुपए तक मानी जा रही है।

बाजरा:


सीकर में सबसे अधिक तीन लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया गया है। जिले में बाजरे के बुवाई क्षेत्र के अनुसार 39 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन आंका जा रहा है। बाजरे में बरसात की कमी के कारण करीब 25 फीसदी तक नुकसान हो गया है।
ऐसे समझें नुकसान


जिले में इस बार खरीफ की बुवाई एक जून से 15 जुलाई तक हो गई थी। इस अवधि में छितराई बरसात हुई। अंकुरण के समय प्राकृतिक पानी मिलने से फसलों की अच्छी बढ़वार हुई। इसके बाद 20 जुलाई से 30 जुलाई तक बरसात नहीं होने से दलहनी फसलों में नमी की कमी हो गई। इससे यलो मोजेक रोग की चपेट में आने से चंवळा की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई। इस समय खरीफ की फसलों में फल व फूल बनने की अवस्था चल रही है। इस समय पौधों को सबसे अधिक पानी की जरूरत होती है लेकिन अब बरसात नहीं होने से नुकसान का यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।

इस समय सख्त जरूरत…


यह सही है कि खरीफ की फसलों को इस समय बरसात की सख्त जरूरत है। बरसात में देरी होने पर खरीफ फसलों में नुकसान तय है। – प्रमोद कुमार, उपनिदेशक कृषि
चंवळा, मोठ, बाजरा व मूंगफली की फसलें प्रभावित हो गई है। सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो किसानों के सामने परेशानी बढ़ जाएगी। – मुकन सिंह, किसान

ट्रेंडिंग वीडियो