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देश को मिला सबसे शक्तिशाली विद्युत रेल इंजन, पीएम मोदी ने किया लोकार्पण

locationनई दिल्लीPublished: Apr 10, 2018 08:30:27 pm

Submitted by:

Prashant Jha

फ्रांस की एलस्टोम और भारतीय रेल के सहयोग से इस कारखाने की स्थापना की गयी है।

madhepura electric rail engine factory
नई दिल्ली: देश में अब 6000 टन सामान लेकर मालगाड़ी 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस के सहयोग से यहां स्थापित मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव कारखाने को राष्ट्र को समर्पित किया । इसके साथ ही 12000 हार्स पावर के पहले डब्ल्यूएजी 12’इलेक्ट्रिक इंजन को रवाना किया। यह इंजन निर्माणाधीन समर्पित मालवहन गलियारे (डीएफसी) में चलेगा। इतने शक्तिशाली इंजन विश्व के कम ही देशों के पास हैं। मोदी ने बाद में मोतिहारी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मधेपुरा में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव कारखाने के प्रथम चरण का लोकार्पण किया गया है। ये कारखाना दो कारणों से अहम है। एक तो ये मेक इन इंडिया का उत्तम उदाहरण है, और दूसरा, ये इस क्षेत्र में रोजगार का भी बड़ा माध्यम बन रहा है। उन्होंने कहा, इस प्रोजेक्ट को 2007 में मंजूरी दी गई थी। मंजूरी के बाद आठ साल तक इसकी फाइलों में पावर नहीं आ पाई।
फ्रांस की सहयोग से बनी है फैक्ट्री

तीन साल पहले राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार ने इस पर काम शुरू करवाया और अब पहला चरण पूरा भी कर दिया है। फ्रांस की एलस्टोम और भारतीय रेल के सहयोग से इस कारखाने की स्थापना की गयी है। इसमें एलस्टोम की 76 प्रतिशत और भारतीय रेल की 24 प्रतिशत की हिस्सेदारी है । इस इंजन से देश में माल ढुलायी में क्रांतिकारी बदलाव आने की आशा की जा रही है। करार के मुताबिक इस कारखाने में पांच इंजनों को असेम्बल किया जाएगा और 795 इंजनों का निर्माण किया जाएगा। अभी तक भारतीय रेलवे के पास सबसे शक्तिशाली 6000 हॉर्स पावर वाला रेल इंजन डब्ल्यूएजी-9 है जो करीब साढ़े तीन हजार टन तक वजन की मालगाड़ी को तेज गति से ले जा सकता है। पहला इंजन निर्धारित समय इस वर्ष फरवरी में तैयार हो गया था। इस पहले इंजन का परीक्षण और रखरखाव उत्तर प्रदेश के सहारनपुर डिपो में होगा। इसका दूसरा इंजन अगले वर्ष निकलेगा।
मालगाड़ियों की गति बढ़ाने की तैयारी तेज

रेलवे पिछले साल ही मालगाड़यिों की गति बढ़ाने की तैयारी शुरु कर दी थी। रेलवे ने सिद्धांतिक तौर पर तय किया है कि वह मालगाड़ी को भी 100 किलोमीटर की रफ्तार से चलाएगा ताकि जल्द से जल्द सामान पहुंचाने के लिए सडक़ परिवहन व्यवस्था को टक्कर दी जा सके। मालगाड़यिों के डिब्बों को भी नए सिरे से डिजाइन किया जाने पर भी सभी तैयारी कर ली गयी थी ताकि उन्हें भी 100 किलोमीटर की स्पीड पर चलाया जा सके। रेलवे का आकलन है कि अगले कुछ साल में उसके पास इतना ट्रैक होगा कि वह कुछ मार्ग पर मालगाड़यिों को भी एक सौ किमी की स्पीड पर चला सकेगा। रेलवे अभी खाली मालगाड़ी को 75 और सामान से लदी हुई मालगाड़ी को 60 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलाता है। हालांकि, रेल लाइन पर भीड़भाड़ की वजह से फिलहाल मालगाड़यिों की औसत रफ्तार 25 किलोमीटर प्रतिघंटा ही है। इस वजह से भी रेलवे को मालढुलाई के मामले में रोड ट्रांसपोर्ट सेक्टर से मुकाबला करना मुश्किल हो रहा है।
कारखाने से औद्योगिक विकास बढ़ेगा

एलस्टोम के भारत और दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक एलेन स्पोहर ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा मधेपुरा स्थित संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया जाना और पहले इंजन को हरी झंडी दिखाना उनके लिए गौरव की बात है । उनकी कम्पनी भारतीय रेल के साथ मिलकर काम करने से अपने को गौरवान्ति महसूस कर रही है । उन्होंने कहा कि इस कारखानें की स्थापना से बिहार और इस क्षेत्र का औद्योगिक विकास हो सकेगा
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