जितनी बढ़़ रही धाक, उतना ही बढ़ रहा बेरोजगारी का दाग
सीकर. बोर्ड परीक्षाओं से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम में लगातार धाक कायम करने वाली शिक्षा नगरी सीकर भी बेरोजगारी के दाग से अछूती नहीं है।

सीकर. बोर्ड परीक्षाओं से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम में लगातार धाक कायम करने वाली शिक्षा नगरी सीकर भी बेरोजगारी के दाग से अछूती नहीं है। प्रदेश में लगातार बढ़ती बेरोजगारी के बीच भत्ते की आस में पंजीयन कराने वाले बेरोजगार युवाओं में प्रदेश की राजधानी जयपुर के युवा सबसे आगे हैं। इसके बाद दूसरे पायदान पर शिक्षानगरी सीकर है। प्रदेश में सरकार बेरोजगारी कम करने की दिशा में तो कोई बड़ा कदम नहीं उठा सकी, अलबत्ता बेरोजगारों को भत्ते के तौर पर दो साल में 754 करोड़ रुपए जरूर बांट दिए। फिलहाल प्रदेश में 1.60 लाख युवाओं को बेरोजगारी भत्ते के तौर पर हर महीने तीन से साढ़े तीन हजार रुपए दिए जा रहे हैं।
किस जिले में कितने बेरोजगार पंजीकृत
जयपुर: 153676
सीकर: 121456
अजमेर: 39469
अलवर: 103841
बांसवाड़ा: 29174
बांरा: 29138
बाड़मेर: 21229
भरतपुर: 66931
भीलवाड़ा: 28146
बीकानेर: 36869
बूंदी: 29890
चित्तौडगढ़: 17404
चूरू: 61726
दौसा: 66224
धौलपुर: 25621
डूंगरपुर: 20285
श्रीगंगानगर: 48860
हनुमानगढ़: 55029
जैसलमेर: 6888
जालौर: 18540
झालावाड़: 28797
झुंझुनूं: 88475
जोधपुर: 55425
करौली: 42029
कोटा: 43969
नागौर: 70985
पाली: 29818
प्रतापगढ़: 11369
राजसमंद: 12391
सवाईमाधोपुर: 38122
सिरोही: 15523
टोंक: 35539
उदयपुर: 29040
विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े मुद्दे के तौर पर गूंजा
विधानसभा चुनाव के दौरान बेरोजगारों को भत्ता देने का मामला सबसे ज्यादा गूंजा था। कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में भी बेरोजगारों को भत्ता देने की घोषणा की थी। हालांकि सरकार वादे के मुताबिक पांच हजार रुपए का भत्ता तो नहीं दे रही, लेकिन भत्ते में बढ़ोतरी जरूर हुई है।
बड़ा पेच: एक समय में 1.60 लाख युवाओं को फायदा
मुख्यमंंत्री युवा सम्बल योजना के तहत प्रदेश के दस लाख से अधिक बेरोजगारों को दायरे में लाने का दावा किया गया था। लेकिन अब कौशल व नियोजन विभाग ने दावा किया कि 1.60 लाख युवाओं को ही एक समय में भत्ता दिया जा सकता है। इस कारण तीन लाख से अधिक बेरोजगारों का गुपचुप भत्ता बंद कर दिया गया।
एक्सपर्ट व्यू: नए रोजगार सृजन पर हो फोकस
सरकार बेरोजगारी भत्ते के जरिए युवाओं की सहानुभूति ले रही है। लेकिन सरकार को नए रोजगार सृजन पर फोकस करना चाहिए। सरकार यदि सरकारी विभागों में समय पर भर्ती करें और निजी क्षेत्र में रोजगार के विकल्प पैदा करें तो भत्ता देने की नौबत हीं नहीं आए। सरकार ने दो साल में 750 करोड़ से ज्यादा तो भत्ते में बांट दिए। इस राशि से आसानी से रोजगार का कोई नया उद्यम स्थापित किया जा सकता था।
इंजीनियर मनीष ढाका, सीकर
इधर युवाओं का आरोप, बीच में बंद हो रही भत्ते की राशि
सीकर निवासी युवा सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि सरकार ने अचानक भत्ते की राशि बंद कर दी। भत्ते की आस में जयपुर में कोचिंग पहुंच गए। भत्ता बंद होने से अचानक कोचिंग बीच में छोडऩी पड़ी। खंडेला निवासी महावीर सिंह का कहना है कि तीन बार फार्म भरने के बाद भी एक बार भी भत्ता स्वीकृत नहीं हुआ। उनका आरोप है कि फार्म एक साल से जांच प्रकिया में ही उलझा हुआ है।
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