चौंकिए मत इन सबकी उम्र भी साल से लेकर 15 साल के बीच की है। लेकिन, ये सब असल जिंदगी में केवल नाम के बड़े पद वाले हैं। जबकि वास्तविकता में इन पदों से इनका रिश्ता दूर-दूर तक कोई नहीं है।
राजस्थान के सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ रेलवे स्टेशन के पास बसने वाली इस बस्ती की खास बात यह है कि यहां ये सारे बड़े नाम वाले बच्चे रहते हैं। जिनके नाम इनके खुद के माता-पिता ने बड़े शौक से रखे हैं। जिनकी उपस्थिति इनके राशनकार्ड से लेकर स्कूल के रजिस्टर तक के रिकॉर्ड में दर्ज हैं।
इसके पीछे परिजन वजह यह मानकर चल रहे हैं कि इनका जीवन घुमंतु और खाना बदोश होने के कारण ये अपने बच्चों को स्थाई शिक्षा से जोड़ नहीं पाते हैं। इनके ज्यादातर बच्चे बीच में ही स्कूल छोड़ देते हैं और बगैर पढ़े-लिखे होने के कारण ये बड़े पदों तक पहुंच नहीं पाते हैं। ऐसे में इनके इस तरह के नाम रख देने से परिवार में इनका अलग ओहदा भी बना रहता है और नाम पुकारने से पद का अहसास भी महसूस किया जा सकता है।
पांच का पटवारी नौ साल का है नेता
लक्ष्मणगढ़ कस्बे की इस बस्ती में मनफूल के बेटे का नाम पटवारी है और वह पांच साल का है। इधर, जीताराम के बेटे जिसकी उम्र नौ साल की है कागजों में उसका नाम नेता होने के कारण सब उसे इसी नाम से पुकारते हैं।
इसके अलावा समंदर के अपने आठ साल के बेटे का नाम वकील रख रखा है तो ओमपाल के छह साल के बेटे को लोग थानेदार व गोकुल के 11 साल की संतान को एसपी कहकर पुकारा जा रहा है। बस्ती में सात का पहलवान, दस साल का सेठ, नौ साल का ठाकुर और 14 साल का मास्टर भी शामिल है।