स. चाचीवाद से बॉलीवुड में चर्चित होने तक का सफर कैसे तय हुआ?
ज. फिल्म बनाने की धुन में 20 साल पहले बिन बताए घर से निकल गया था। बिना टिकट के ट्रेन के टॉयलेट व इधर-उधर छिपते छिपाकर मुंबई पहुंचकर करीब डेढ साल काम की तलाश में भटकता रहा। इस दौरान रातभर जागकर तो कभी भूखों रहकर भी दिन काटने पड़े। दो हजार रुपए की नौकरी भी की। पर किस्मत बदली और बी4यू तथा बहुरानी सीरियल में को- प्रोडक्शन से काम की शुरुआत की। फिर टी-सीरिज में प्रोडक्शन के साथ काम व सफलता का कारवां बढ़ता गया।स. आपकी खुद की कंपनी भी है?
ज. 2006 में खुद की इवेंट कंपनी शुरू कर थी। उससे पहला गाना ‘डफली वाले, डफली बजा‘ रिलीज किया गया था। शुरुआत में टीवी सीरियल के लिए काम किया। इसके बाद रुस्तम, टॉयलेट एक प्रेम कथा, परमाणु जैसी कई बड़ी फिल्मों के लिए प्रोडक्शन हाउस से फंड दिया।स. वीर सावरकर को लेकर कांग्रेस व भाजपा आमने- सामने रहती है। दोनों के अलग- अलग पक्ष हैं। आपकी फिल्म में उनका कौनसा पक्ष दिखेगा।
ज. हम देश के लिए लडऩे वालों को तो खूब पढ़ते, देखते व सुनते हैं, लेकिन उनके परिवार पर क्या बीती है उसका पता नहीं होता। इस फिल्म में देश के लिए वीर सावरकर के बलिदान के साथ उनके परिवार की भूमिका व उन पर बीती परिस्थितियों का रिसर्च आधारित चित्रण है। फिल्म देखने के बाद हर किसी को लगेगा कि वास्तव में ऐसी फिल्में बननी चाहिए।स. आपके को-प्रोडक्शन में बन रही लालरंग-2 से पहले वीर सावरकर को लोकसभा चुनाव के ठीक पहले रिलीज करने के पीछे तो कोई राजनीतिक कारण तो नहीं?
ज. फिल्म का चुनाव से कोई संबंध नहीं है। दरअसल वीर सावरकर के लिए रणवीर हुड्डा ने 30 किलो वजन कम किया था। उनके उसी लुक में शुटिंग पूरी करने के लिए इस फिल्म को पहले पूरा किया गया। पहले ये फिल्म पिछले साल 15 अगस्त और फिर इस साल 26 जनवरी को रिलीज होनी थी। पर शूटिंग में देरी सहित कई कारणों से डेट बढ़ते हुए 22 मार्च फाइनल हुई है।स. वीर सावरकर की पहचान हिंदुत्ववादी चेहरे की रही है। आपकी उन पर व्यक्तिगत राय क्या है?
ज. मैंने उनके बारे में ज्यादा नहीं पढ़ा था। पर ये फिल्म बनते हुए देखी है। मुझे लगता है कि जब गांधीजी व भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों पर फिल्म बनी है तो वीर सावरकर पर भी फिल्म बननी चाहिए थी। देश के लिए कुछ करने वाले लोगों और उनके परिवार की परिस्थितियों को सामने लाना चाहिए।स. आपकी नजर में और भी कोई व्यक्तित्व ऐसा है जिस पर बायोपिक बननी चाहिए या आप बनाना चाहेंगेेे?
ज. फिल्में व्यक्ति नहीं सब्जेक्ट और रिसर्च के आधार पर तय होती है। सब्जेक्ट अच्छा मिला तो आगे भी बॉयोपिक बनाएंगे। फिलहाल एक बॉयोपिक सहित कुछ कॉमर्शियल फिल्मों पर काम चल रहा हैं।