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वीरांगना ने 54 साल बाद जीती ये बड़ी जंग, भारत-पाक युद्ध में पति ने दुश्मनों को चटाई थी धूल

locationसीकरPublished: Feb 24, 2019 11:34:15 am

Submitted by:

Vinod Chauhan

पति की शहादत के 54 साल बाद शहीद वीरांगना को अब हर महीने 26 हजार रुपए की पेंशन मिलेगी। इस वीरांगना का पति 1965 में भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे।

पति की शहादत के 54 साल बाद शहीद वीरांगना को अब हर महीने 26 हजार रुपए की पेंशन मिलेगी। इस वीरांगना का पति 1965 में भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे।

विरांगना ने 54 साल बाद जिती ये बड़ी जंग, भारत-पाक युद्ध में पति ने दुश्मनों को चटाई थी धूल

रविंद्र सिंह राठौड़, सीकर.

पति की शहादत के 54 साल बाद शहीद वीरांगना को अब हर महीने 26 हजार रुपए की पेंशन मिलेगी। इस वीरांगना का पति 1965 में भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे। इस मामले में विडम्बना यह भी रही कि वीरांगना के पास पति की शहादत संबंधी कोई दस्तावेज नहीं थे। केवल पति के आर्मी नंबर याद थे। इन्हीं नंबरों के सहारे शहीद वीरांगना की पेंशन की लड़ाई तीन साल चली। अब जाकर उसकी पेंशन को मंजूरी मिल पाई है। मामले के अनुसार हरियाणा के नारनौल की बीदा देवी की शादी 1962 में महार रेजीमेंट में कार्यरत सिपाही धर्मपाल सैन के साथ हुई थी। शादी के करीब तीन साल बाद ही भारत-पाकिस्तान में संघर्ष शुरू हो गया था। इसमें सिपाही धर्मपाल सैन को जम्मू कश्मीर में बार्डर पर भेजा गया। जहां वह 12 सितंबर 1965 को शहीद हो गए। उनकी शहादत के बाद शहीद की मां के नाम पेंशन मंजूर हुई। शहीद की मां का 1978 में निधन हो गया। उसके बाद पेंशन बंद हो गई। 2016 में सैनिक कल्याण विभाग के अधिकारियों को मामले की जानकारी मिली। उसके बाद शहीद वीरांगना की पेंशन के लिए कवायद शुरू की गई। परिणाम सुखद रहा। आर्मी की ओर से शहीद वीरांगना का पेंशन पीपीओ जारी कर दिया गया है। वीरांगना को अब हर महीने 26 हजार पेंशन मिलेगी। साथ ही 2005 से पेंशन का एरियर भी दिया जाएगा।


एक लाख के चेक ने खोला राज
कारगिल संघर्ष में शहीद होने वाले सैनिकों को पैकेज मिलने के बाद सरकार ने 1971 से पहले शहीद हुए सैनिकों के लिए 1 लाख रुपए दिए थे। उसी चेक को देने के लिए सैनिक कल्याण विभाग के जिला सैनिक अधिकारी कमांडर हीर सिंह, नीमकाथाना के सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल सुरेंद्र सिंह व तत्कालीन सैनिक कल्याण अधिकारी ग्रुप कैप्टन एसएस धोलिया ने पूरे मामले को मिशन मानकर काम किया। विभाग के सहायक अधिकारी जसवीर सिंह को शहीद वीरांगना का पता लगाने के लिए कहा गया। एक महीने के अथक प्रयास के बाद शहीद वीरांगना का पता लगा। शहीद वीरांगना से पूरे मामले की जानकारी मिलने पर उन्होंने तत्कालीन अधिकारी एस एस धोलिया को मामले की सूचना दी। शहीद वीरांगना को पेंशन दिलाने के प्रयास किए ओर नए साल में उसको पेंशन के लिए पीपीओ जारी कर दिया गया है।

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