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दवा की शीशी पर दूसरा लेबल लगा कर सरकार को लगाया लाखों का चूना

locationसीकरPublished: Feb 16, 2018 11:36:49 am

Submitted by:

Vinod Chauhan

पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं के कीड़े मारने में काम आने वाली दवा के वितरण में हेराफेरी का मामला सामने आया है।

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सीकर.

पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं के कीड़े मारने में काम आने वाली दवा के वितरण में हेराफेरी का मामला सामने आया है। पशु चिकित्सा संस्थानों के जरिए पशुपालकों को सिम्बोसिस फार्मास्यूटिकल प्राइवेट लिमिटेड हिमाचल प्रदेश की अमितराज नाम से निशुल्क वितरित की जा रही दवा की मात्रा शीशी में लगभग आधी ही है। वहीं विभाग कंपनी को पूरी शीशी के पैसे अदा कर रहा है। पिछले तीन साल से यह खेल चल रहा है और इस दौरान लाखों शीशियां उपयोग में ला जा चुकी हैं। दवा निर्माता कंपनी की ओर से जो स्टॉक भेजा गया है, उसमें 15 मिलीलीटर के बजाय 8 मिलीलीटर ही दवा वितरित की जा रही है। ऐसे में सरकार को लाखों रुपए की चपत लग रही है।


नमूने ही नहीं लिए
मामले में विभाग की लापरवाही साफ नजर आती है। दरअसल कोई भी दवा निर्माता कंपनी जब दवा बनाती है तो उसकी जांच के लिए सैम्पल भी भेजती है। सैम्पल के पास होने के बाद ही दवा की सप्लाई होती है। लेकिन कम्पनी से दवा लेने के बाद जिम्मेदारों ने दवा की मात्रा की ओर ध्यान नहीं दिया।


जिम्मेदार हैं खामोश
लाखों रुपए के टेंडर के बावजूद आधी दवा ही उपलब्ध हो पा रही है, लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का इस ओर ध्यान ही नहीं है। दवा की प्रति शीशी कीमत 12 रुपए 85 पैसे और मात्रा 15 मिलीलीटर लिखी गई है, लेकिन शीशी में दवा सिर्फ आठ मिलीलीटर ही है। 2012 में मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत कुछ दवाओं का वितरण नि:शुल्क शुरू किया गया था। तभी से यह दवा वितरित की जा रही है। दवा निर्माता कंपनी की ओर से जो स्टॉक भेजा गया है, उसमें मात्रा कम पाई गई है। ऐसे में विभाग के साथ पशुपालकों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।


परजीवी नाशक है दवा
एक्टोपेरासाइट से पशुओं में होने वाले जूं, चीचड़े, कलीले और पिस्सू जैसे वाह्य परजीवियों को खत्म किया जाता है। इससे पशुओं में संक्रमण और बीमार होने का खतरा कम होता है। इस दवा का इस्तेमाल पशु चिकित्सा अधिकारी की देख-रेख में ही किया जा सकता है लेकिन अधिकांश संस्थाओं में ये दवा पशुपालक को सीधे ही दी जा रही है।


फैक्ट फाइल
प्रथम श्रेणी- 31
अस्पताल- 94
डिस्पेंसरी- 10
सब सेंटर- 213


हमारे पास इस तरह की शिकायत नहीं आई है। यदि ऐसा है तो कम्पनी शर्त का उल्लघंन कर रही है। इसकी जांच करवाई जाएगी। जांच के दौरान दवा की मात्रा कम मिलने पर संबंधित कम्पनी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। -डॉ. अजय गुप्ता, निदेेशक, पशुपालन विभाग

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