ये है मामला
शनिवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ। जिसमें एक युवक पंजीयन उपमहानिरीक्षक कार्यालय के बाहर सोशल मीडिया पर लाइव करते हुए आरटीई के तहत सूचना नहीं देने की बात कर रहा था। इसी दौरान कुछ लोगों द्वारा धक्का मुक्की की गई। जो मोबाइल का एंगल बदलने पर साफ नहीं दिखाई दी। मामले में संविदाकर्मी दीपक कुमावत ने आरोप लगाते हुए बताया कि कार्यकाल पूरा होने पर 8 मार्च को आरटीआई के तहत सूचना लेने के लिए कार्यालय में गया थ। वहां पर कार्मिक नवीन ने उसे सूचना देने से मना कर दिया और कहा कि पहले वह उपमहानिरीक्षक से बात करेगा। दीपक ने उससे आवेदन की रसीद मांगी तो उसने कहा कि पहले वह अधिकारी से बात करेगा। नवीन ने उपमहानिरीक्षक को सूचना के बारे में जानकारी दे दी। बाद में रसीद देने के लिए कनिष्ठ सहायक के पास भेज दिया। वहां से उसे सहायक प्रशासनिक अधिकारी व सुरक्षा गार्ड के पास भेजा। तब उन्होंने उसे रसीद दी। दोबारा वह आवेदन की सूचना लेने के लिए 9 अप्रैल को गया। वहां पर उसे इधर-उधर चक्कर लगवाए गए। तब उसने मोबाइल में रिकॉडिंग शुरू कर दी। उसका आरोप है कि उपमहानिरीक्षक रामवतार कुमावत ने आकर उसे पकड़ लिया और मोबाइल छीनने लगे। स्टाफ ने बीच बचाव कर उसे हटाया। इसके बाद उसने एसपी सीकर, मानवाधिकारी आयोग और राजस्थान संपर्क पोर्टल पर शिकायत की। वहीं विभाग के कनिष्ठ सहायक अमित ने दीपक कुमावत के खिलाफ उद्योगनगर थाने में उपमहानिरीक्षक के साथ दुव्र्यवहार व राजकार्य में बाधा पहुंचाने की रिपोर्ट दर्ज कराई है। उन्होंने रिपोर्ट में बताया कि दीपक का कार्यकाल समाप्त हो चुका था। उसने कार्यालय में आकर रसीद देने का दबाव बनाया। गुस्से में फाइलों को फेंक दिया। कर्मचारियों ने उसे मना करते हुए पकड़ा तो वह रिकॉडिंग करने लग गया। उपमहानिरीक्षक के साथ अभद्र व्यवहार कर धक्का दे दिया। टेंडर जारी करने की धमकी देने लगा।