सामान्य एम्बुलेंस में शव लाने पर आक्रोशित हुए ग्रामीण
निकटवर्ती झाड़ली की ढाणी ठिकरिया निवासी एवं जम्मू कश्मीर के बारामुला सेक्टर के 21 कुमायूं रेजीमेंट के जवान विक्रम यादव का शव शुक्रवार करीब सात बजे पहुंचा। शव को सेना के दो जवान साधारण एम्बुलेंस में लेकर आए। यह देखकर ग्रामीण भडक़ गए। कुछ ही समय में बामरड़ा बस स्टैंड पर एक हजार से अधिक लोगों की भीड़ एकत्र हो गई। लोगों ने एम्बुलेंस को वहीं पर रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। साथ ही नीमकाथाना सडक़ मार्ग पर बैठकर जाम लगा दिया।
ग्रामीण और परिजनों को गले नहीं उतर रही आत्महत्या की बात
शव के साथ आए सेना के जवानों ने ग्रामीणों और परिजनों को आत्महत्या की बात बताई, लेकिन यह बात ग्रामीण और परिजनों के गले नहीं उतरी। शव के साथ आए सुबेदार चतरसिंह ने ग्रामीणों से कहा कि विक्रम सिंह ने अपनी राइफ ल से गोली मारकर आत्महत्या की है। उन्होंने ग्रामीणों को शव के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट भी दिखाई। लेकिन सैनिक के पिता श्योदान और भाई नरेन्द्र व ग्रामीणों के गले यह बात नहीं उतरी। ऐसे में ग्रामीणों ने वहां पर प्रदर्शन शुरू कर दिया।
कई थानों का जाप्ता और अधिकारियों का डेरा
ग्रामीणों के प्रदर्शन की सूचना पर नीमकाथाना पुलिस उप अधीक्षक गिरधारीलाल शर्मा, श्रीमाधोपुर उपखंड अधिकारी दिलीप सिंह राठौड़, तहसीलदार महिपाल सिंहए अजीतगढ़ए श्रीमाधोपुरए खंडेला और थोई थाने से जाब्ता मौके पर पहुंचा।
जनप्रतिनिधि पहुंचे, विफ ल हुए वार्ता के दौर
प्रदर्शन की सूचना पर कांग्रेसी नेता बालेंदु सिंह शेखावतए पूर्व विधायक झाबर सिंह खर्रा, कांग्रेस नेता सुभाष मील, मनीष यादवए भाजपा नेता सावलराम यादवए अजीतगढ़ पंचायत समिति के प्रधान शंकर लाल यादव सहित कई जनप्रतिनिधि भी मौके पर पहुंचे। बाद में आठ लोगों की कमेटी बनाकर एसडीएम से वार्ता की गई, लेकिन पहले ही दौर में वार्ता विफ ल हो गई।
परिवार बोला...सेना के अधिकारियों ने किया गुमराह
सेना के जवान विक्रम के बड़े भाई नरेंद्र का कहना है सेना के अधिकारियों ने उन्हें गलत जानकारी देकर गुमराह करने का काम किया है। बकौल नरेन्द्र 22 मार्च की शाम तीन बार विक्रम से फ ोन पर उसके पिता से बात हुई थी। उस दौरान ऐसी कोई बात नहीं थी कि विक्रम को आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़े। उसके बाद 23 मार्च की दोपहर दो बजे जम्मू कश्मीर सेना के अधिकारियों का पिताजी के पास फ ोन आया कि विक्रम ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली, लेकिन यह बात हमारे गले नहीं उतरी। नरेंद्र का कहना है कि सेना के अधिकारियों ने उनको चार बार टेलीफ ोन कर गुमराह किया।