झुंझुनूं में कार्यरत यूपी के श्रमिकों ने लॉकडाउन में छूट मिलने पर घर जाने के लिए ऑनलाइन कार की बुकिंग की। इस दौरान एक साइट से कार भी बुक हो गई। जैसे ही ओटीपी बताया तो श्रमिक के खाते से 12 हजार रुपए पार हो गए। इसके बाद श्रमिकों ने उस कंपनी के नंबर पर अलग-अलग नंबरों से फोन किए लेकिन कॉल रिसिव नहीं हुआ।
सीकर निवासी सीताराम प्रजापत के पिता कोरोना की दूसरी लहर में गंभीर बीमार हो गए। सीकर में बैड नहीं मिलने पर परिचितों के जरिए जयपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। यहां चिकित्सकों की ओर से इंजेक्शन मंगाने की बात कही। सीएमएचओ कार्यालय में एप्लीकेशन दी तो ऑनलाइन आवंटन का तर्क देकर टरका दिया। जब उन्होंने एक दलाल से सम्पर्क किया तो वह 60 हजार रुपए लेकर चला। बाद में उसने अपना फोन ही बंद कर लिया।
फिलहाल आगरा में काम करने वाले सीकर निवासी सोनेन्द्र ने बताया कि चार दिन पहले उनके पास बूस्टर लगवाने के लिए कॉल आया। उन्होंने जब आधार कार्ड, पहली व दूसरी डोज लगने की तिथि सही बता दी तो पूरा यकीन हो गया। इस पर उन्होंने ओटीपी नंबर बता दिया। इस पर उनके खाते से 30 हजार रुपए पार हो गए। उन्होंने इस संबंध में पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है।
अगर आप बूस्टर डोज लेने के लिए भी एलिजिबल हैं, तो खुद ही ऑनलाइन अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं, या फिर ऑन स्पॉट भी बुकिंग की जा सकती है। इसलिए किसी भी अनजान व्यक्ति को ओटीपी नंबर शेयर ना करें।