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अरब सागर से उठे विक्षोभ ने बदला शेखावाटी का मौसम

locationसीकरPublished: Oct 31, 2019 07:09:34 pm

अरब सागर से उठे विक्षोभ के कारण शेखावाटी में मौसम का मिजाज बदल गया है। मौसम के बदलने से अब मध्यरात्रि बाद तेज सर्दी का अहसास हो रहा है। तीन दिन से दृश्यता में भी कमी आ रही है

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दिन भर चला धूप-छांव का खेल

सीकर. अरब सागर से उठे विक्षोभ के कारण शेखावाटी में मौसम का मिजाज बदल गया है। मौसम के बदलने से अब मध्यरात्रि बाद तेज सर्दी का अहसास हो रहा है। तीन दिन से दृश्यता में भी कमी आ रही है। दिनभर बादल छाए रहने के कारण मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले ४८ घंटे में बूंदाबांदी होने का अनुमान है। जिससे सर्दी का असर बढ़ जाएगा। फतेहपुर में न्यूनतम पारा 1७.४ डिग्री पहुंच चुका है। प्रदेश के कई इलाकों में बादलों की आवाजाही बनी हुई है, जिसके कारण दिन के तापमान में पारा सामान्य या उससे ज्यादा रिकॉर्ड हो रहा है। बदलते मौसम का देखते किसानों ने तेजी से फसलों की थ्रेसिंग शुरू कर दी है। फतेहपुर कृषि अनुसंधान केन्द्र पर न्यूनतम तापमान १७.४ डिग्री और अधिकतम तापमान ३४ डिग्री तक पहुंच गया है।
विंड पेटर्न हुआ सेट

मानसून सीजन में हवा का रुख दक्षिण पश्चिमी होता है। मानसून के विदा होने के बाद यह उत्तर पूर्वी या उत्तर पश्चिमी होता है। इस बदलाव को विंड पैटर्न सेट होना कहते हैं। आमतौर पर यह पैटर्न प्रदेश में नवम्बर माह में सेट होता है लेकिन इस बार अक्टूबर माह के दूसरे पखवाड़े में ही पेटर्न सेट हो चुका है। जम्मू कश्मीर में बर्फबारी के कारण अगले माह से प्रदेश में कड़ाके की सर्दी शुरू हो जाएगी। विंड पैटर्न सेट होने के कारण नवंबर माह की शुरुआत के साथ ही प्रदेश में कड़ाके की सर्दी का दौर शुरू होना तय माना जा रहा है। इससे लोगों की दिनचर्या में व्यापक बदलाव आया है। पंखों की गति थम गई है। दिन ढलने के साथ शुरू सर्दी भोर तक रहती है। लोग सुबह व शाम गर्म कपड़ों में लिपटे नजर आने लगे हैं।
प्रति बीघा लागत में आएगी कमी

नमी बढऩे के कारण बारानी क्षेत्र में रबी की अगेती फसलों की अच्छी बढ़वार होगी। वहीं सिंचित क्षेत्र में सरसों, चना, मैथी सहित अन्य फसलोंं को फायदा होगा। किसान शिशुपाल सिंह ने बताया कि चार-पांच दिन तापमान गिरने का क्रम जारी रहा तो फसलों में अतिरिक्त सिंचाई की आवश्यकता नहीं होगी। इस कारण किसानों के खेतों पर बिजली की खपत कम हो जाएगी। सर्दी बढऩे से भूमि में नमी ज्यादा होगी किसान की प्रति बीघा लागत में कमी आएगी।

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