स्काडा लगाया तब से नहीं चली चादर
जल संसाधन विभाग ने बीसलपुर बांध पर वर्ष 2020 में सर्विलेंस कंट्रोलिंग एंड डाटा इक्विजेशन (स्काडा) सिस्टम लगवाया था ताकि बांध के सभी 18 गेटों को कम्प्यूटर से खोलकर पूरा डाटा सेव किया जा सके। लेकिन अफसोस इस बात का है कि जब से स्काडा लगाया, बांध पूरी तरह भरा ही नहीं। कोटा कि एक निजी फर्म को काम दिया गया और अब तक फर्म के कर्मचारी बांध पर चादर चलने का इंतजार कर रहे हैं ताकि पता चल सके कि बांध के गेट कम्प्यूटराइज्ड तरीके से खोले जा सकते हैं या नहीं। बड़ी बात तो यह भी है कि स्काडा लगाने के बाद तय हुआ था कि पांच साल तक सिस्टम का रख-रखाव कम्पनी करेगी और यह तीसरा साल होगा।
बांध पर सभी तैयारी पूरी
जल संसाधन विभाग की माने तो बांध के रख-रखाव पर एक माह के भीतर करीब 11 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। इसके अलावा बांध पर स्थानीय बारिश से दो इंच पानी की आवक होने के बाद उम्मीद बढ़ी है कि इस बार चादर जरूर चलेगी। प्री-मानसून की झमाझम के बाद वायरलेस सेंटर शुरू कर दिए गए हैं। विभाग ने दिगोद, बनेड़ा, बीसलपुर और देवली में सेंटर शुरू कर दिया है, जो 2-2 कमर्चारी 24 घंटे ड्यूटी दे रहे हैं।
बांध पर अब तक पांच बार चली चादर
बीसलपुर बांध पर अब तक पांच बार चादर चल चुकी है और इस बार भी चादर चलने की उम्मीद रहेगी। जल संसाधन विभाग की माने तो वर्ष 2004 में पहली बार चादर चली थी। उसके बाद वर्ष 2006, 2014, 2016 और वर्ष 2019 में चादर चली थी। पिछली बार चादर चलने के दौरान जल संसाधन विभाग को बांध के सभी गेट खोलने पड़े थे। करीब 20 दिन तक बांध से पानी बाहर निकाला गया था।