केवल स्नातक की पात्रतारीट भर्ती 2018 में स्नातक में 50 फीसदी अंकों की अनिवार्यता थी। लेकिन इसमें एससी, एसटी सहित अन्य वर्गों को पांच फीसदी छूट दी गई। स्नातकोत्तर का कोई प्रावधान नहीं था।
रीट 2018 के द्वितीय लेवल में 70 फीसदी अंक रीट के प्रमाण पत्र व 30 फीसदी अंक स्नातक के शामिल कर अंतिम चयन सूची तैयार हुई थी। इस दौरान प्रदेश के कई निजी विश्वविद्यालयों पर फर्जी अंकतालिका जारी करने के आरोप भी लगे। मामला एसओजी तक पहुंचा। सरकार को कुछ निजी विश्वविद्यालयों में प्रशासक लगाने पड़े।
इस भर्ती में स्नातकोत्तर की अंकतालिका को लेकर अभी से मामला तूल पकडऩे लगा है। सूत्रों की मानें तो पिछले दस दिन में कई निजी विश्वविद्यालयों ने स्नातकोत्तर की फीस डेढ़ से दो गुणा तक बढ़ा दी है। पीजी की माक्र्स शीट के लिए देश के 30 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में 20 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों ने दाखिला भी लिया है।
पिछली रीट भर्ती के दौरान कई विधायकों ने विधानसभा में भी जाली अंकतालिकाओं का मामला उठाया था। इस दौरान उच्च शिक्षा विभाग की ओर से दिए गए जवाब में सरकार ने नौ निजी विश्वविद्यालयों पर लगे आरोप की जांच रिपोर्ट पेश की थी। एक निजी विवि से फर्जी डिग्री जारी होने के मामले की जांच एसओजी ने की थी। इसके बाद सरकार ने यहां प्रशासक नियुक्त किया था। इसके अलावा एक अन्य निजी विवि के प्रबंधन ने विवि के नाम की जाली अंकतालिका जारी होने का कहते हुए एफआइआर दर्ज कराई थी। अभी भी प्रदेश के पांच निजी विश्वविद्यालयों के मामले न्यायालय में विचाराधीन है।
लगातार शिकायतों के बाद विभाग की ओर से अलर्ट भी जारी किया गया है। इसमें संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा विभाग ने बताया कि निजी विश्वविद्यालयों को स्टडी सेंटर या अन्य सेंटर की अनुमति राज्य सरकार व यूजीसी से लेना अनिवार्य है। पाठ्यक्रमों में प्रवेश मेरिट के आधार पर ही दिए जा सकते हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि प्रदेश के पांच निजी विश्वविद्यालयों के खिलाफ गंभीर शिकायत है। इनकी जांच विभिन्न स्तर पर जारी है। कई मामले न्यायालय में भी विचाराधीन है। ऐसे में विद्यार्थी अपने स्तर पर जांच कर प्रवेश लें।