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महिला उत्पीडऩ…शिकायत दर्ज करवाए तो शब्दों में ‘शोषण’

locationसीकरPublished: Dec 11, 2021 12:48:02 am

Submitted by:

Narendra

भाषा शैली: महिला प्रताडऩा के मामलों में एफआइआर में लिखे शब्द कर रहे शर्मसार

महिला उत्पीडऩ...शिकायत दर्ज करवाए तो शब्दों में 'शोषण'

महिला उत्पीडऩ…शिकायत दर्ज करवाए तो शब्दों में ‘शोषण’

नरेंद्र शर्मा. सीकर. अंग्रेजों के जमाने में बने सैकड़ों कानून, जो वर्तमान में अप्रासंगिक हो गए, वे निरस्त कर दिए गए हैं या उन्हें बेन कर दिया गया, लेकिन बरसों बरस से एफआइआर की भाषा में कोई बदलाव नहीं किया गया। बलात्कार या महिला प्रताडऩा के मामले में पुलिस द्वारा दर्ज की जाने वाली एफआइआर में निहायत ही अश्लील शब्दों का समावेश किया जाता है। बलात्कार अथवा प्रताडऩा से पीडि़त महिला इन शब्दों से भी उतनी ही आहत होती है। एफआइआर में पुलिस द्वारा पीडि़त महिला से हर एक बात पूछी जाती है। यहां तक कि यदि गाली गलौच का जिक्र है, तो एफआइआर में वह गाली भी शब्दश: ही लिखी जाती है। महिला संगठनों के अनुसार, यह महिलाओं के साथ एक प्रकार की मानसिक प्रताडऩा है। हालांकि एफआइआर की भाषा शैली के खिलाफ पहले भी आवाज उठी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। प्रथम सूचना रिपोर्ट या एफआइआर प्राय: अपराध के शिकार व्यक्ति द्वारा पुलिस के पास एक शिकायत के रूप में दर्ज की जाती है। किसी अपराध के बारे में पुलिस को कोई भी व्यक्ति मौखिक या लिखित रूप में सूचित कर सकता है। एफआइआर पुलिस द्वारा तैयार किया हुआ एक दस्तावेज है, जिसमें अपराध की सूचना वर्णित होती है।
एफआइआर को यों समझें
जब किसी अपराध की सूचना पुलिस अधिकारी को दी जाती है, तो उसे एफआइआर कहते हैं। इसका पूरा रूप है – फ़स्र्ट इनफ़ॉरमेशन रिपोर्ट। अपराध की सूचना को लिपिबद्ध करने का कार्य पुलिस करती है। यह वह महत्वपूर्ण सूचनात्मक दस्तावेज होता है जिसके आधार पर पुलिस कानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ाती है। एफआइआर संज्ञेय अपराध होने पर दर्ज की जाती है। संज्ञेय अपराध के बारे में प्रथम सूचना रिपोर्ट कोई भी व्यक्ति दर्ज करवा सकता है।
एफआइआर में दर्ज कुछ कठिन शब्द
अंग्रेजी हुकूमत के दौरान जो शब्द शासन में स्थापित हो गए, वे शब्द आज भी हमारे इर्द-गिर्द कहीं हैं। इनमें कई शब्द उर्दू के हैं, तो कई उर्दू-फारसी मिश्रित शब्द हैं। एफआइआर में भी ऐसे शब्दों का समावेश किया गया है। हालांकि कुछ समय पूर्व एफआइआर से बहुत ज्यादा कठिन शब्दों को हटा दिया गया था।
तफ्तीश-जांच
इस्तगासा-परिवाद
तरमीन-संशोधन
तामील-क्रियान्वयन
मुजरिम-दोषी
मुदाला या मुल्जिम-आरोपी
मसलन मुदई-शिकायतकर्ता
दरयाफ्त-दलील
इमरोज-आज
मजरूब-घायल
असलहा-हथियार
एक्सपर्ट व्यू
एफआइआर में शब्दों का समावेश क्रिमीनल एक्ट के अनुसार ही किया गया है। यदि अपराध की गंभीरता दिखानी है, तो कभी कभार वर्जित शब्द भी लिखे जाते हैं, जिनमें गाली भी शामिल है। हालांकि बलात्कार शब्द को अति परिभाषित नहीं किया जाता।
महावीर प्रसाद जांगिड़, रिटायर्ड पुलिस अधिकारी

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