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बारीक धागे,मोटी सूई,मजबूत गांठ दे रही कल्पनाओं को आकार,पिता-पुत्र ने सीकर के इस गांव की पहचान ऐसे रखी बरकरार

locationसीकरPublished: Mar 07, 2018 04:27:27 pm

Submitted by:

vishwanath saini

आज वही जोड़ी एक हजार से ज्यादा रुपये में बेच रहे है फिर भी मुनाफा कम मिल रहा है।

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गणेश्वर. व्यकित ठान ले तो वह क्या नहीं कर सकता है, भले ही उसके रास्ते में कितनी भी कठिनाई आए। गांव सकराय में रहने वाले बुजुर्ग बोदूराम रैगर,अपने पुश्तैनी रोजगार में रुचि रखते हुए अपने सूई धागों से कल्पनाओं को साकार करते हुए अपने गांव की पहचान लुप्त नहीं होने दी। पहले तो सैकड़ों घरों में चमड़े की जूतियां तैयार कर बड़े शहरों में भेजी जाती थी। अब केवल पिता-पुत्र चमड़े की जूतियां तैयार कर दुकान में बैठकर माल बेच रहे हैं। गांव की पहचान को बरकरार रखे हुए है।

 


बारिक धागे,मोटी सूई,मजबूत गांठ से खूबसूरत कला हस्त शिल्प चमड़े की जूतियों का व्यापार कर अपने परिवार का पालन पोषण तो कर ही रहे हैं बल्कि अपने क्षेत्र में अपना नाम भी रोशन कर रहे हंैं। ग्रामीण इलाके पहाड़ी क्षेत्र में आज भी किसान पशु पालक इन खूबसूरत महंगी जूतियों को पहनना अपनी शान समझते हैं। बुजुर्ग ने बताया कि महंगी जूतियां बेच कर भी पुराने जमाने जैसी मौज नहीं है। पुराने जमाने में एक जूती जोड़ी आठ दस रुपए में बेचते थे। आज वही जोड़ी एक हजार से ज्यादा रुपये में बेच रहे है फिर भी मुनाफा कम मिल रहा है।

अब सकराय के लोग कुटीर उद्योग गलीचा तैयार करने में लगे हुए है। पहले किसान लोग लाव चिड़स बैल बछड़ों की बांदड़ी तैयार करवाते थे। काफी अन्नान मिलता था,अब लाव चिड़स कुएं में पडग़ी,बैल बछड़े आवारा हो गए। मुनाफा भी कम हो गया। लेकिन अपने परिवार को पढ़ा लिखा कर रेलवे में नौकरी दिलाकर कल्पनाओं को सकार कर लिया।



सीकर से प्रतिदिन 25 ट्रक प्याज जा रहा बाहर

सीकर. नासिक की प्याज मंडी के बंद रहने से शेखावाटी के प्याज की मांग बढ़ गई। यही कारण है कि प्याज के थोक भावों में 20 रुपए मण की तेजी आई है। थोक व्यापारियों की माने तो सीकर मंडी में आने वाला अधिकांश प्याज प्रदेश सहित दूसरी मंडियो में जा रहा है। प्याज के थोक भाव 10 से 150 रुपए प्रति किलो तक रहे। खरीद दूसरे राज्यों से आए करीब एक हजार दर्जन व्यापारियों ने की।

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