सेना भर्ती से सोशल डिस्टेंस: बेरोजगारों का ऐसे बढ़ रहा दर्द
केस एक: जल्द ऐलान नहीं तो दूसरी परीक्षाओं की तैयारी
सीकर निवासी सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि वह दो साल से तैयारी में जुटे थे। लेकिन कोरोना की वजह से सेना भर्ती रैली नहीं हो सकी। ऐसे में अब वह ओवरएज हो गए है। उन्होंने बताया कि मजबूरी में अब इस साल प्रस्तावित छात्रावास अधीक्षक सहित अन्य भर्तियों की तैयारी करनी पड़ेगी।
केस दो: दो साल तक कोचिंग की, अब नई राहें
सीकर निवासी पंकज सिंह ने सेना में शामिल होने के लिए दो साल तक डिफेन्स एकेडमी में फीस चुकाकर तैयारी की। उन्होंने बताया कि इस दौरान तैयारी काफी बेहतर हो गई थी। लेकिन भर्ती रैली का आयोजन नहीं हो सका। अब परिजनों की ओर से जल्द दूसरे क्षेत्र में कॅरियर बनाने का दवाब है। ऐसे में मजबूरी में दूसरे क्षेत्र में राहें तलाशनी पड़ेगी।