शनिवार को अंतिम तिथि तक करीब 13 लाख क्विंटल धान की खरीदी की जा सकी है। करीब 22 हजार किसानों ने धान सहित अन्य फसलों का उपार्जन किया है। बताया गया कि जिले में बनाए गए 52 केंद्रों में से अभी तक 45 केंद्रों में किसान धान बिक्री के लिए बाकी हैं। केवल 7 केंद्रों में सभी किसानों ने पहुंचकर धान की बिक्री की है। फिलहाल अब बाकी के किसान भी धान की बिक्री कर सकेंगे।
मौसम से प्रभावित हुई खरीदी
अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में धान खरीदी की रफ्तार ठीक थी, लेकिन पिछले एक सप्ताह से मौसम के चलते खरीदी पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा है। शासन स्तर से ही 20 के बजाए केवल 5 किसानों को ही मैसेज भेजा जाता था। इससे खरीदी की रफ्तार धीमी हो गई। मौसम के बदले तेवर और शुरू हुई बारिश के चलते ही तिथि बढ़ाने की जरूरत पड़ी। मौसम का रूख सही रहा तो 20 जनवरी तक खरीदी पूरी हो जाएगा।
अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में धान खरीदी की रफ्तार ठीक थी, लेकिन पिछले एक सप्ताह से मौसम के चलते खरीदी पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा है। शासन स्तर से ही 20 के बजाए केवल 5 किसानों को ही मैसेज भेजा जाता था। इससे खरीदी की रफ्तार धीमी हो गई। मौसम के बदले तेवर और शुरू हुई बारिश के चलते ही तिथि बढ़ाने की जरूरत पड़ी। मौसम का रूख सही रहा तो 20 जनवरी तक खरीदी पूरी हो जाएगा।
परिवहन की रफ्तार अभी धीमी
खरीदी की तरह ही केंद्रों से धान के परिवहन की रफ्तार भी धीमी है। अभी करीब 4 लाख क्विंटल धान केंद्रों में ही डंप है। इतना ही नहीं पूर्व में हुई बारिश में भीगी धान सड़ रही है। केंद्रों में भीगी धान को सुरक्षित करने के इंतजाम नहीं किए जा सके हैं। स्थिति यह है कि केंद्रों में भीगा धान का बोरा ही सड़ रहा है। इसके अलावा किसानों को भुगतान में भी देरी की जा रही है। अभी 50 फीसदी से अधिक का भुगतान बाकी है।
खरीदी की तरह ही केंद्रों से धान के परिवहन की रफ्तार भी धीमी है। अभी करीब 4 लाख क्विंटल धान केंद्रों में ही डंप है। इतना ही नहीं पूर्व में हुई बारिश में भीगी धान सड़ रही है। केंद्रों में भीगी धान को सुरक्षित करने के इंतजाम नहीं किए जा सके हैं। स्थिति यह है कि केंद्रों में भीगा धान का बोरा ही सड़ रहा है। इसके अलावा किसानों को भुगतान में भी देरी की जा रही है। अभी 50 फीसदी से अधिक का भुगतान बाकी है।