सामने आया कि सभी केंद्रों पर खरीदे गए धान को बोरी में पैक तो कर दिया गया मगर उसका वहां से उठाव नहीं हो पाया है। इसका कारण दो शासकीय व किराए पर लिए गए 10 निजी गोदामों में धान भंडारण के लिए जगह की कमी पड़ जाना सामने आया। इसके चलते जिले में खरीदे गए कुल धान में से खरीद बंद होने के एक माह से अधिक बीतने के बाद भी 75,615 क्विंटल धान आज तक केंद्रों पर ही खुले में पड़ा है। समस्या यह है कि गोदामों मंें जगह नहीं होने के कारण इस धान का केंद्र से उठाव होने की स्थिति ही नहीं है। प्रशासन व खरीद एजेंसियों के पास खुले में पड़े इस धान के सुरक्षित भंडारण के लिए गोदाम ही नहीं है। अधिकारी सूत्रों की ओर से बताया गया कि भंडारण के लिए जगह की कमी के कारण इतनी मात्रा में धान को खरीद केंद्र परिसर में ही प्लास्टिक से कवर कर उसके अस्थाई संरक्षण की व्यवस्था का मुख्यालय से निर्देश कुछ दिन पहले यहां जिला मुख्यालय पर अधिकारियों को मिला। बताया गया है कि इसकी पालना में खुले में पड़े धान को प्लास्टिक के अस्थाई शेड से ढकने व वहीं इसकी सुरक्षा के लिए दवा आदि रखे जाने की प्रक्रिया शुरू की गई।
उल्लेखनीय है कि जिले में रबी व खरीफ सीजन में समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले अनाज के भंडारण के लिए कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है। जिले में अनाज भंडारण के लिए शासकीय स्तर पर केवल दो ही गोदाम उपलब्ध हैं मगर उनकी भंडारण क्षमता मात्र आठ हजार क्विंटल की है जो यहां एक सीजन में खरीद होने वाले अनाज की कुल मात्रा के मुकाबले ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। इस कारण हर सीजन में प्रशासन के स्तर पर निजी गोदामों को किराए पर लिया जाता है।
सहकारिता व आपूर्ति निगम के अधिकारी ने बताया कि लगभग १२ जगह खुले में पड़े धान के अस्थाई शेड की कार्रवाई जारी है। कहा गया कि अब तक आठ-नौ जगह प्लास्टिक के अस्थाई शेड की व्यवस्था कर ली गई है। शेष जगह के लिए तेजी से प्रक्रिया पूरी की जा रही है। फिलहाल इन सबके बीच शनिवार को हुई बारिश में करोड़ों रुपए की धान भीग गई है। धान को जल्द ही सुरक्षित नहीं किया गया तो वह खराब हो जाएगा। क्योंकि बारिश की संभावना अभी बरकरार है।