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सिंगरौली में मिला खजाना, जिस पर है सबकी नजर

locationसिंगरौलीPublished: Dec 27, 2017 02:16:14 pm

Submitted by:

Vedmani Dwivedi

अक्टूबर 2017 तक इस खजाने में 883 करोड़ 71 लाख रुपए आ चुके हैं

883 crore amount found in District Mineral Establishment Singrauli

883 crore amount found in District Mineral Establishment Singrauli

सिंगरौली. जिला खनिज प्रतिष्ठान यानी कुबेर का खजाना। खजाने में कौन नहीं गोता लगाना चाहेगा। जी हां, जिले में इस समय कुछ ऐसा ही हो रहा है। अक्टूबर 2017 तक इस खजाने में 883 करोड़ 71 लाख रुपए आ चुके हैं। सभी प्रमुख विभागों एवं अधिकारियों की नजर इसी खजाने में है।
हैरत की बात यह है कि इस खजाने से दो करोड़ 39 लाख रुपए से ज्यादा की राशि पौधरोपण के लिए स्वीकृति कर दी गई। जिसमें से एक करोड़ 19 लाख रुपए विभाग को जारी भी कर दिए गए।
54 लाख 85 हजार रुपए खर्च

पौधरोपण कार्य में अभी तक 54 लाख 85 हजार रुपए खर्च कर दिए गए हैं। इसी तरह से जिम्मेदार जिला खनिज प्रतिष्ठान की राशि को ठिकाने लगा रहे हैं। पौधरोपण कहां हुए? कितने पौधे लगाए गए? पौधों की वर्तमान स्थिति क्या है? इसका जवाब देने में अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं।
हैण्डपम्प खनन का हुआ कार्य

जिला खनिज प्रतिष्ठान से जंगल विभाग के लिए 12 करोड़ 68 लाख 74 हजार 940 रुपए एवं दो करोड़ 39 लाख 15 हजार 23 रुपए की राशि स्वीकृति की गई। इसी राशि में पौधरोपण एवं हैण्डपंप खनन का कार्य करने की मंजूरी दी गई। विभाग को पौधरोपण के लिए एक करोड़ 19 लाख 15 हजार 23 रुपए जारी किए गए। वहीं पौधरोपण एवं वन ग्रामों में 04 नग हैण्डपम्प खनन के लिए 6 करोड़ 43 लाख 37 हजार 470 रुपए जारी किए गए। इसमें से पौधरोपण में 54 लाख 85 हजार रुपए पौधरोपण में खर्च हुए हैं वहीं तीन करोड़ 53 लाख 71 हजार रुपए हैण्डपंप खनन एवं पौधरोपण में खर्च हुए हैं।
सभी कार्य पूर्ण
विभाग के मुताबिक पौधरोपण एवं हैण्डपंप खनन दोनों के कार्य पूर्ण हो गए हैं। पौधरोपण को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि विभाग के अधिकारियों ने पौधरोपण के नाम पर खानापूर्ति की है। कलेक्ट्रेट कार्यालय एवं जिला पंचायत कार्यालय में लगे पौधों को नहीं बचा पाने की वजह से लोगों को भरोसा नहीं हो रहा है कि जंगल विभाग के अधिकारी पौधरोपण में गंभीरता दिखाएंगे। उल्लेखनीय है कि कलेक्ट्रेट में एवं जिला पंचायत में जिले के बड़े अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों ने पौधे लगाए थे लेकिन एक भी पौधा बचाया नहीं जा सका।
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